आज भारत बंद है. कहीं है और कहीं बिल्कुल नहीं है. लेकिन सबसे रोचक है कि ये बंद करवा कौन रहा है. पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया पर तरह तरह के संदेश और तस्वीरें बना बना कर कुछ लोग भारत बंद का विरोध कर रहे हैं. खुद पीएम मोदी भारत बंद की निंदा कर चुके हैं. कह चुके हैं कि हम कालाधान के खिलाफ अभियान चला रहे हैं और वो भारतबंद कर रहे हैं. बीजेपी देशभर में अभियान चलाकर भारतबंद के खिलाफ छोड़े बड़े जुलूस निकाल रही है.
इस हालत में बड़ा सवाल ये है कि भारत बंद का आह्वान किसने किया है. हमने इस मामले में पड़ताल करने की कोशिश की. हम आपको बताते हैं कि भारत बंद दरअसल हो रहा है किस की अपील पर.
कांग्रेस: भारत बंद का आह्वान नहीं किया. सिर्फ जन आक्रेश दिवस मनाया जाएगा. इसमें धरना प्रदर्शन शामिल होंगे बस
जेडीयू: विपक्षी पार्टियों की ओर से किए जाने वाले विरोध प्रदर्शन और 30 नवंबर को पटना में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से दिए जाने वाले धरने में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है। जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नोटबंदी का स्वागत किया है ।
तृणमूल कांग्रेस : भारत बंद के समर्थन में नहीं , सिर्फ विरोध करेगी जनआक्रोश दिवस होगा, कोलकाता में बड़ी रैली
आरजेड़ी: आक्रोश दिवस लेकिन बंद में शामिल नहीं, धरना प्रदर्शन होगा
समाजवादी पार्टी : भारत बंद का आव्हान नहीं किया. जनआक्रोश दिवस का आयोजन
बीएसपी : जन आक्रोश दिवस मनाएंगे लेकिन भारत बंद का आह्वान नहीं किया
आम आदमी पार्टी: भारत बंद का आह्वान नहीं किया. सिर्फ जनआक्रोश दिवस
डीएमके : सिर्फ विरोध प्रदर्शन करेगी बंद का कोई आह्वान नहीं कियॉ
अह सवाल उठता है कि बंद का आईडिया आया कहां से. तो जवाब ये है कि सिर्फ लेफ्ट पार्टियों नें भारत बंद का आह्वान किया है. चौटाला की पार्टी इन्डियन नेशनल लोकदल इसका समर्थन कर रही है. देशभर की लेफ्ट समर्थित यूनियनें और जहां जहां लेफ्ट पार्टियों की प्रभुत्व है वहीं बंद की विफलता या सफलता की बात की जा सकती है. दर असल बीजेपी ने इस मौके का फायदा उठाकर सोशलमीडिया सेल और पार्टी के ज़रिए इसका राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश की . जब दिल्ली में भारत बंद है ही नहीं , जब यूपी में भारत बंद का ज़ोर रहने ही नहीं वाला है तो वहां रैलियां निकालने का मतलब क्या था. बीजेपी अपने अभियान में ये बता ही नहीं रही थी कि वो किसके बंद का विरोध कर रही है. जो भी हो ये भ्रम फैलाने की राजनीति का एक नया पैंतरा है. जिसे समझना होगा.