गाज़ियाबाद : सरकार की नीति ने उसे मार दिया लेकिन लोगों ने बढ़ाया मदद का हाथ. ये मामला गाज़ियाबाद का है. यहां नवयुग मार्केट में बैक ऑफ इंडिया की ब्रांच पर पिछले कई दिनों से मुन्नालाल नाम का शख्स पिछले कई दिनों से कैश लेने आता था. वो गंभीर रूप से बीमार था लेकिन नोटों की लाइन में लगना उसकी मज़बूरी थी.
आखिर 29 नवंबर को उसने दम तोड़ दिया. जब तक मुन्नालाल ज़िंदा था अपने ही तरह के दूसरे मजबूर लोगों की तरह लाइन में घुटने को मजबूर था लेकिन जैसे ही मुन्नालाल का निधन हुआ अचानक मदद की झड़ी लग गई. मुन्नालाल की मौत के बाद कैश की कमी का राक्षस फिर मुंह फाड़कर खड़ा था . अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं थे. बैंक गए तो वहां कैश नहीं था. चार दिन से सरकार ने बैंक में एक रुपया तक नहीं भेजा था. चार दिन से कैश नहीं आया था.
मैनेजर को समझ नहीं आया क्या करें. आखिर उसके अंदर का इनसान मुन्नालाल के काम आया. उसने कुछ पैसे खुद दिए और कुछ ग्राहकों से इकट्ठा किए, शाम होते होते 17 हजार का इंतजाम हो चुका था. आखिर किसी तरह मुन्नालाल का अंतिम संस्कार हो सका.
नोटबंदी हो या कोई और मुसीबत आखिर लोगों के काम लोग ही आते हैं. इस मामले में भी यही हुआ. व्यवस्था पत्थरदिल थी और लोगों की नरमदिली ने एक दूसरे की मदद की.