पाकिस्तान की आतंक के मामले में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर साख इतनी खराब है कि उसे संयुक्त राष्ट्र से मिला हुआ राजनयिक संरक्षण तक तक बेकार होने लगा है.ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में सोमवार को हुए आतंकी हमले को लेकर अमेरिका में पुलिस ने पाकिस्तानी दूतावास में छापे मारे हैं. हालांकि, ये राजनयिक नज़रिए से बेहद गलत कदम है क्योंकि राजनयिकों और दूतावासों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मुताबिक सरकारें छेड़ नहीं सकतीं. लेकिन इसके बावजूद अमेरिका ने ये छापा मारा. पाकिस्तान ने पुलिस के इस कदम को शर्मनाक बताया है. @PakEmbassyUN ने ट्वीट किया है, ‘यह शर्मनाक है कि फेडरल पुलिस ने ओहिया हमले को लेकर न्यूयार्क में हमारे दूतावास में सर्च ऑपरेशन किया है. इसके साथ ही पुलिस ने हमारे दूतावास से कुछ कागजात भी जब्त किए हैं.’ बता दें, सोमवार को ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में एक सोमाली मूल के स्टूडेंट ने हमला करके 11 लोगों को घायल कर दिया था. पुलिस ने बाद में हमलावर छात्र को गोली मारकर ढेर कर दिया.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हमलावर छात्र करीब सात साल तक पाकिस्तान में रहा है. 18 वर्षीय हमलावर की पहचान अब्दुल रजाक अली के रूप में हुई है, जो कि सोमाली शरणार्थी है. उसने अपने परिवार के साथ 2007 में अपना देश छोड़ दिया था और पाकिस्तान में रहने लगा. उसके बाद 2014 में अमेरिका में लीगल पर्मानेंट रेजिडेंट के तौर पर आ गया. यह जानकारी एनबीसी न्यूज ने कानून प्रवर्तन अधिकारियों के हवाले से दी है.
ओहियो से पहले वह अस्थिर तौर पर डलास में रह रहा था. अली ने ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में सोमवार को एक भीड़ में अपनी कार घुसा दी थी और वहां पर चाकू से लोगों पर हमला कर दिया, जिसमें 11 लोग घायल हो गए. इसके बाद पुलिस ने उसे गोली मारकर ढेर कर दिया.
जांचकर्ता इसकी जांच कर रहे हैं कि क्या यह अली द्वारा आंतकी हमला था. अली ने एक बार मुस्लिमों के चित्रण को लेकर मीडिया की भी आलोचना की थी. अगस्त में एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में उसने कहा था कि वह मीडिया की इस्लाम को लेकर की जा रही कवरेज की वजह से वह सार्वजनिक तौर पर प्रार्थना करने से डरता है. ओहियो यूनिवर्सिटी देश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटियों में से एक है. इस यूनिवर्सिटी में 60 हजार से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं. अमेरिका की यूनिवर्सिटीज में पहले भी ऐसी घटनाएं देखने को मिली हैं.