अहमदाबाद: ये मामला बहुत रहस्यमय है. अरुण जेटली की इनकम डिक्लियरेशन स्कीम (आईडीएस) के अंतिम दिन 30 सितंबर को समय समाप्त होने से सिर्फ पांच मिनट पहले 13860 करोड़ रुपए के काले धन (सारी नकदी) की घोषणा कर आयकर अधिकारियों का सिर घुमा देने वाले अहमदाबाद निवासी के रहस्यमय व्यापारी महेश शाह कई दिनों तक लुकाछिपी का खेल खलेने के बाद शनिवार को अचानक एक गुजराती टीवी के स्टूडियो में पहुंच गए. उन्होंने दावा किया कि यह पैसा उनका नहीं है और वह सभी बातों का खुलासा आयकर विभाग के समक्ष करेंगे. इसी दौरान पुलिस और आयकर विभाग की टीम स्टूडियो पहुंच गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
जानकारों का कहना है कि महेश शाह ने स्कीम का फायदा उठाकर पहले मोटी रकम की घोषणा कर दी. उनका प्लान था कि कुछ कालाधन रखने वालों का धन वो सफेद कर देंगे. योजना के तहत महेश शाह को अपने घोषित कालेधन पर 30 नवंबर से पहले आयकर विभाग के पास 975 करोड़ रुपये की पहली किस्त जमा करनी थी, मगर शाह इस रकम को जमा करने के बजाय वो गायब हो गए. हालांकि कुछ जानकार मानते हैं कि शाह ने दूसरे कई लोगों का धन सफेद करने के चक्कर में ये डिक्लियरेशन भरा और ये लोग बड़े राजनेता, कारोबारी बगैरह हैं.
बड़े लोग हो सकते हैं शामिल
शाह ने कहा कि यह पैसा उनके पुराने दोस्तों अथवा परिचितों का नही था. वह सारी बात का खुलासा बहुत जल्द आयकर विभाग के समक्ष करेंगे. बार बार पूछने के बावजूद उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया. एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जिस राशि का उन्होंने खुलासा किया था असल राशि उससे भी अधिक हो सकती है और पैसे के मालिकों में कई बड़े लोग
उल्लेखनीय है कि शाह ने उक्त राशि पर योजना के तहत लगने वाले 6237 करोड़ रुपए के कर (कुल राशि का 45 प्रतिशत) की पहली किश्त के तौर पर करीब 1560 करोड़ रुपए 30 नवंबर तक देने का वादा किया था, पर उन्होंने ऐसा नहीं किया. वह पिछले करीब एक माह से लापता थे. आयकर विभाग उनके यहां स्थित आवास, मुंबई के आवास और कार्यालय तथा राजकोट में उनके कुछ परिचितों के ठिकानों और उनकी घोषणा में मदद करने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट फर्म अप्पाजी एंड कंपनी के कार्यालय पर पिछले तीन दिनों में छापेमारी कर चुकी है, पर कोई बहुत बडी बरामदगी नहीं हुर्ह है. मजे की बात है कि इतनी बड़ी रकम का खुलासा करने वाले शाह को यहां या मुंबई के व्यापार अथवा व्यवसाय जगत में कोई नहीं जानता.
उनके सीए तेहमुल सेठ ने कहा था कि वह शाह को 2013 से जानते हैं और वह उनके कोई नियमित मुवक्किल नहीं थे. वह 30 सितंबर की रात उनके पास आए थे और उन्होंने अपने पास 13860 करोड़ की नकदी होने की बात कही थी. वह उन्हें लगभग आधी रात को आयकर आयुक्त के पास ले गए थे जिन्होंने पूरा सहयोग करते हुए उनसे उनकी घोषणा ली थी.
30 नवंबर को पहली किश्त भरने की कही थी बात
उन्होंने अपना कोई व्यवसाय नहीं बताया था और यह कहा था कि उनके पास पूरा पैसा नकदी के तौर पर है. उन्हें 14 अक्टूबर को फॉर्म नंबर 2 भरने को दिया गया था और उन्होंने 30 नवंबर तक कर की पहली किश्त भरने की बात कही थी. इसके बाद भी वह लगातार उनके संपर्क में थे. उन्होंने आयकर विभाग से भी इतनी बड़ी नकदी को जमा कराने के लिए सुरक्षा मुहैया कराने की बात कही थी. पर उन्होंने पैसा जमा नहीं किया. कुछ समय से उनका फोन बंद है.