8 नवंबर को जब पीएम मोदी ने नोटबंदी का एलान किया था तो तीन बातें कही थीं.
1.इससे कालाधन बाहर आ जाएगा.
2.पाकिस्तान और आईएसआई का नकली नोटों का नेटवर्क ध्वस्त हो जाएगा.
2. आतंकवाद पर रोक लग जाएगी. लेकिन नोटबंदी का जैसे जैसे एक महीना पूरा होने को है, सरकार के तीनों दावे फेल होने लगे हैं. सबसे पहले बात करते हैं कालेधन की…
कालाधन तो निकला ही नहीं
ब्लूमबर्ग दुनिया की जानी मानी फायनेंस और बिजनेस की खबरें देने वाला न्यूज़ नेटवर्क है. ब्लूमबर्ग के मुताबिक पुराने नोट जमा करने के लिए अभी देश के पास काफी समय है इसके बावजूद 82 फीसदी पैसा सफेद साबित हो चुका है. देश में 15.3 लाख करोड़ रुपये की करंसी होने की बात की जा रही थी इसमें से 12.6 लाख करोड़ रुपये बैंकों के पास वापस आ चुके हैं और जितना धन बचा हुआ है उसके जमा होने के लिए अभी काफी समय बाकी है. यानी देश में कालाधन निकला ही नहीं या सरकार ने देश के करप्ट लोगों को परेशानी में ही सही काले को सफेद करने का मौका दे दिया. ब्लूम बर्ग ने फिलिप कैपिटल्स के हवाले से कहा है कि इससे भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा है.
नकली नोट का दावा भी बकवास निकला
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक इतने बड़े अभियान के बाद बैंकों के पास सिर्फ 1.30 लाख नोट ऐसे थे जो नकली निकले. अखबार ने नोटबंदी के 20 दिन बाद 27 नवंबर तक की जो जानकारी दी है उसके मुताबिक सिर्फ 9 करोड़ 63 लाख की की करंसी ऐसी मिली जो नकली नोटों में थी. बाकी सारे नोट असली निकले. यानी देश में नकली नोटों का कारोबार इतना बड़ा नहीं था जितना उसे बढ़ा चढ़ाकर बताया गया. बल्कि पहले से ही बरती जा रही सावधानी ने नकली नोटों के चलन को काफी हद तक काबू कर लिया था. लोगों में जागरूकता थी और बैंकिंग सिस्टम एलर्ट था इसलिए नकली नोट चल ही नहीं सके.
आतंकवाद पर लगाम लगी क्या ?.
नोटबंदी के 15 दिन के अंदर ही जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा में मारे गए दो आतंकवादियों के पास से दो हज़ार के नए नोट मिले. जहां आम लोग नए नोटों के लिए लाइनों में लगे हैं, वहीं ये नोट आतंकियों के पास पहुंच गए. इनके पास से मान्य कुल 15000 रुपये मिले है. जिसमें दो नोट 2000 के हैं और बाकी 100 के हैं. इन आतंकवादियों का संबंध लश्कर ए तैयबा से बताया गया. इसके अलावा भी कई मौकों पर आतंकवादियों के पास नये नोट मिलने की खबरें आ चुकी हैं.
नोटबंदी के बाद कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में भी कोई कमी नहीं आई. वैसे ही हमले होते रहे और वैसे ही घुसपैठ जारी रही. सुरक्षा बलों के जवानों का जीवन भी खतरे में पड़ा.