नई दिल्ली: पहले ही नोटबंदी की मार झेल रहे सब्ज़ी किसानों के बाद अब अनाज उगाने वाले किसानों की परेशानियां भी बढ़ने वाली हैं. केन्द्र सरकार ने विदेशों से आयात होने वाले गेहूं पर इंपोर्ट ड्यूटी हटाने का फैसला किया है. पहले अगर 100 रुपये का गेहूं आयात किया जाता था तो 25 रुपये सरकार शुल्क वसूलती थी. बाद में सरकार ने इसे 10 रुपये किया और अब पूरी तरह खत्म कर दिया है. इस कदम का नुकसान सबसे ज्यादा गेहूं उगाने वाले किसानों को होगा क्योंकि विदेशी गेहूं की मौजूदगी के कारण उन्हें ठीक दाम नहीं मिल पाएंगे.
इससे सबसे ज्यादा फायदे में आईटीसी जैसी कंपनियां रहेंगी जिन्हें आटा और दूसरे गेहूं के प्रोडक्ट बनाने के लिए सस्ते में अनाज मिल जाएगा. दूसरा फायदा उपभोक्ताओं को होगा वो भी तब जब इंपोर्टर माल को आगे सस्ते दाम पर बेचे.सरकार का कहना है कि मौसम विभाग ने भी इस साल ज्यादा ठंड पड़ने का अनुमान लगाया है इससे फसल पर बुरा असर पड़ सकता है और हो सकता है कि महंगाई बढ़े.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज लोकसभा में गेहूं पर आयात शुल्क हटाने संबंधी अधिसूचना सदन के पटल पर रख दी. उन्होंने कहा कि 8 दिसंबर 2016 को जारी अधिसूचना के अनुसार गेहूं पर आयात शुल्क को 10 प्रतिशत से घटाकर शून्य किया गया है जो तत्काल प्रभाव से लागू होगी. इसके लिए 17 मार्च 2012 की अधिसूचना को संशोधित किया गया है.
उपभोक्ता मामलों के सचिव हेम पांडे ने सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि इससे घरेलू उपलब्धता बेहतर होगी और गेहूं से बने उत्पाद एवं आटे के दामों को नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी. पांडे ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘हमने सरकार से बहुत समय पहले गेहूं पर आयात शुल्क कम करने की सिफारिश की थी. गेहूं और आटे की खुदरा कीमतों में थोड़ी बढ़ोतरी देखी गई है. इस कदम से स्थानीय आपूर्ति बढ़ेगी और कीमतें नियंत्रित होंगी.’ सरकार ने सितंबर में गेहूं पर आयात शुल्क फरवरी तक के लिए 25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया था. इसके तहत निजी कारोबारियों ने अब तक 17.2 करोड़ टन गेहूं का आयात किया है और इस साल इसके 20 करोड़ टन पार जाने की उम्मीद है.