नई दिल्ली: क्या तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री और AIADMK पार्टी प्रमुख जे जयललिता की हत्या की गई ? क्या उन्हें धीमी मौत मारा गया ? जी हां ये सवाल बार बार उठ रहे हैं क्यों कि जय ललिता को उनके आखिरी वक्त में किसी से मिलने नही दिया गया यहां तक कि उनके अपने परिवार के लोगों को भी उनसे दूर रखा गया. अब तक ये मांग इधर उधर से उठ रही थी. पुरानी रिपोर्ट की चर्चा हो रही थी (करीब दस साल पहले तहलका ने एक वक्त में वादा किया था कि जय ललिता को शशिकला धीमा ज़हर देकर मार रही थीं इसीलिए शशिकला को जय ललिता ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था) लेकिन अब सीधे अभिनेत्री गौतमी ने ये सवाल खड़ा कर दिया है.
जयललिता की मौत के 3 दिन बाद अभिनेत्री गौतमी तड़ीमला ने एक सार्वजनिक ब्लॉग पोस्ट लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील है कि वह इस मुद्दे पर बनाई गई गोपनीयता से पर्दा उठाएं. गौतमी ने अपनी चिट्ठी में ‘जयललिता को अस्पताल में भर्ती कराए जाने, उनके ठीक होने और फिर अचानक हुई उनकी मौत से जुड़े कई अनसुलझे सवालों’ के बारे में PM मोदी का ध्यान आकर्षित किया है.
गौतमी ने इस सिलसिले में PM को संबोधित कर एक ब्लॉग पोस्ट लिखी है. इसमें उन्होंने जयललिता की बीमारी और उनकी मौत से जुड़ी जानकारियों को पूरी तरह छुपाने से जुड़े सवालों की ओर मोदी का ध्यान आकर्षित किया है. गौतमी ने लिखा है कि जिस समय जयललिता अस्पताल में थीं, उस समय किसी को भी उनसे मिलने नहीं दिया जा रहा था. उन्होंने लिखा है, ‘किसी को भी उन तक नहीं पहुंचने दिया जा रहा था. कई गणमान्य लोग जो कि उनके स्वास्थ्य की बिगड़ी हालत से परेशान होकर वहां मिलने पहुंचे थे, उन्हें खुद जयललिता से नहीं मिलने दिया गया.’
जयललिता की मौत से जुड़े ये सवाल अकेले गौतमी नहीं कर रही हैं. मालूम हो कि तमिलनाडु में कई राजनैतिक विश्लेषक इस तरह के सवालों को अहमियत दे रहे हैं. अपनी ब्लॉग पोस्ट में गौतमी ने लिखा, ‘तमिलनाडु सरकार की मुखिया और लोगों की चहेती नेता के मामले में इतना रहस्य क्यों बनाया गया और उन्हें इस तरह सबसे अलग-थलग क्यों रखा गया? ऐसे समय में जब कि जयललिता की सेहत इतनी नाजुक स्थिति में थी, तब कौन लोग थे जो कि उनकी बीमारी और इलाज से जुड़े फैसले ले रहे थे? और कौन लोग हैं जो कि जनता को इन सवालों के जवाब देने के लिए जिम्मेदार हैं?’
गौतमी ने लिखा है कि जनतांत्रिक पद्धति के द्वारा चुने गए अपने नेताओं के बारे में जानने का लोगों को पूरा अधिकार है. उन्होंने यह भी लिखा कि इतनी बड़ी घटना से जुड़े सवाल अनसुलझे नहीं रह जाने चाहिए. अपने पोस्ट में गौतमी ने PM मोदी को ऐसा नेता बताया है जो ‘आम लोगों के अधिकारों के लिए खड़े होने से नहीं डरता है.’ गौतमी ने ब्लॉग में यह भरोसा भी जताया है कि प्रधानमंत्री उनकी अपील को सुनेंगे.
जयललिता 75 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रही थीं. इस दौरान न केवल उनकी बीमारी और इलाज के बारे में पूरी गोपनीयता बरती गई, बल्कि किसी को भी उनसे मिलने नहीं दिया गया. बहुत कम लोग ही उनतक पहुंच पा रहे थे. ऐसे में उनकी मौत के बाद जयललिता की मौत के बारे में कई तरह की शंकाएं उठ रही हैं. कई लोगों का यह भी मानना है कि इसके पीछे कोई साजिश रची गई थी. जयललिता को चेन्नै स्थित अपोलो अस्पताल में 22 सितंबर को भर्ती किया गया था. उस समय उन्होंने बुखार और शरीर में पानी की कमी होने की शिकायत की थी. बाद में बताया गया कि उनकी हालत बिगड़ती गई, लेकिन इसका कोई ब्योरा नहीं दिया गया. उनकी हालत के बारे में जानने का एकमात्र स्रोत अपोलो अस्पताल से जारी किए जाने वाले मेडिकल बुलेटिन थे. सरकार या फिर पार्टी की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई.