सरकार एक तरफ काला धन बंद करने की बात कर रही है तो दूसरी तरफ एक के बाद ऐसे नोट मार्केट में उतारे जा रहे हैं जो कालाधन रखने वालों के लिए वरदान साबित होंगे. सरकार ने पहले 2000 रुपये का नोट निकाला. ये नोट 500 के नोट से भी छोटा था और खुद नीति आयोग ने कहा कि इससे लोगों को नोटों को लाने ले जाने में आसानी होगी. अब सरकार ने नया एलान किया है प्लास्टिक के नोट का. इस नोट को लाने के पीछे भी यही तर्क दिया जा रहा है. तर्क ये हैं कि ये करंसी वजन में हल्की होगी और कम जगह घेरेगी. इसे ज्यादा समय तक स्टोर भी किया जा सकेगा. पहले जो नोट होते थे उन्हें ढाई साल के लिए स्टोर कर सकते थे लेकिन नये नोट पांच साल तक चकाचक रहेंगे.
वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने शुक्रवार को संसद में इन नये नोटों की खासियतें बताईं. उन्होंने बताया कि अब प्लास्टिघक की करेंसी छापी जाएगी, इसके लिए कच्चा माल खरीदा जा है.
भारतीय रिजर्व बैंक काफी समय से प्लास्टि क करेंसी लॉन्च करने की योजना बना रहा है. फरवरी 2014 में सरकार ने संसद को जानकारी दी थी कि 10 रुपये वाले एक अरब प्लास्टि क नोट छापे जाएंगे और इनके फील्ड ट्रायल के लिए 5 शहर चुने गए हैं. ये शहर थे कोच्चिट, मैसूर, जयपुर, शिमला और भुवनेश्वर.
कैसे होते हैं प्लास्टि्क के नोट, क्या है इनकी खासियत
प्लास्टिेक वाले नोटों का वजन पेपर वाले नोटों की तुलना में कम होता है. ऐसे में इनका ट्रांस्पोर्टेशन और डिस्ट्रीब्यूशन भी आसान होता है.
प्लास्टि्क के नोटों की औसत उम्र करीब पांच साल होती है. यानी पेपर के नोटों की तुलना में दोगुना से ज्यादा.
प्लास्टिाक से बने करेंसी नोट पेपर वाले नोटों की तुलना में साफ-सुथरे होते हैं. इन्हें पॉलीमर नोट भी कहा जाता है.
प्लास्टि क नोटों की नकल उतारना आसान नहीं होता है.
एक अध्यययन के मुताबिक पेपर वाले नोट की तुलना में प्लास्टिुक नोट से ग्लोबल वार्मिंग में 32 फीसदी की कमी और एनर्जी डिमांड में 30 फीसदी की कमी आती है.
2016-12-09