नई दिल्ली: पूरा देश लाइनों में लगकर परेशान है वहीं एक जगह ऐसी भी है जहां हर एटीएम वैसे ही आपका इंतज़ार करता मिलेगा जैसे नोटबंदी से पहले भारत के दूसरे एटीएम करते थे. इस जगह के एटीएम में लबालब कैश रहता है और निकालने इक्का दुक्का ही कोई आता है. ये जगह अच्छा टूरिस्ट डेस्टिनेशन भी है. लेकिन यहां एटीएम में पैसे होने की खबर आपको खुशखबरी नहीं बल्कि दर्द की एक दास्तान लगेगी । यहां एटीएम से पैसे इसलिए नहीं निकलते क्यों कि लोगों के अकाउंट में पैसे ही नहीं है. य् जगह है कश्मीर और यहां हाल के घटनाक्रम से हर इनसान कंगाल हो चुका है. न तो किसी के पास बदलने के लिए पुराने नोट बचे न अकाउंट में पैसे जिन्हें एटीएम से निकाला जा सके.
अंग्रेजी अखबार हिंदूस्तान टाइम्स के मुताबिक जहां एक तरफ पूरा देश 8 नवंबर को लिए गए नोटबंदी के फैसले के बाद से नकदी की मारामारी से जूझ रहा है वहीं कुछ महीनों से हिंसक प्रदर्शनों से जूझ रही कश्मीर घाटी अप्रत्याशित रुप से शांत है।
जम्मू और कश्मीर बैंक के सोपोर बैंक के प्रबंधक, अजीज अहमद ने बताया, ‘शुरूआती दो दिनों में तो भीड़ थी लेकिन अब स्थिति सामान्य है। पूरे देश में जिस तरह से बैंको और एटीएम के बाहर लाइन है, यहां वैसा कुछ नहीं है।’
यहां के लोगों से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि इसमें आश्चर्य करने जैसे कोई बात नहीं है। कश्मीर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर, मोही-उद-दिन सांगमी ने बताया कि, ‘लोग पैसे तो तब निकालेंगे जब उनके पास कुछ पैसे बचे होंगे। बीते पांच महीने से घाटी में जो स्थिति है उसने लोगों की कमाई ठप्प कर दी है। लोगों ने अपने बुरे वक्त के लिए जो भी पैसे बचाए वे सब खर्च हो गए।’
सोपोर में सेब का व्यापार करने वाले मुश्ताक अहमद ने बताया, ‘बुरहान वानी की मौत के बाद से घाटी में भड़की हिंसा के बाद सभी आर्थिक गतिविधियां ठप्प पड़ी हैं। मजदूर, व्यापारी, व्यवसायी, सभी का धंधे बंद पड़ें है। जिनकी जो भी बचत थी वो सब खर्च हो चुकी है, अब लोगों के पास पैसै ही नहीं हैं।’
लेकिन कश्मीर में मौजूद हर चीज की तरह यह ‘सामान्य स्थिति’ भी राजनीतिक रंग लेने लगा है। लोग पुराने नोटों को बदलने के साथ दिल्ली के उस दावे को भी नकारते है कि घाटी में भारी मात्रा में कालाधन मौजूद है जो वहां कि हर समस्या का जड़ है। लोग एक गर्व की एक अनुभूति के साथ कहते है कि अगर यहां कालाधन है तो बैंको के सामने भीड़ क्यों नहीं है?