इंदौर: ये कहानी विदेशी नहीं है पुरानी भी नहीं है. अपने भारत की है . आज यानी 12 दिसंबर की बात है. इंदौर के ज़ू में 6000 दर्शक चहलकदमी कर रहे थे. सब अलग अलग बाड़ों के साथ जानवरों के को देख रहे थे और छुटिटू बिता रहे थे. सनडे की छुट्टी होने के कारण भीड़ भी ज्यादा थी. इन दर्शकों के बीच ही कही एक लॉन में एक बाघिन भी आराम से घूम रही थी. बाघिन का नाम जमना है और वो 15 दिन में दूसरी बार अपना बाड़ा फांदकर चहलकदमी करते हुए घाम रह थी. इसके पहले 28 नवबंर को जमना ना बाड़ा फांदकर बाहर आ गई थी. खास बात ये है कि सोमवार को जब जमना बाहर आई, उस वक्त नगर निगम, जू मैनेजमेंट और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अफसर सिक्युरिटी की जांच कर रहे थे. बाघिन काफी देर तक बाड़े के बाहर बने गार्डन में घूमती रही. कड़ी मशक्कत के बाद उसे फिर बाड़े में पहुंचाया गया.
28 नवंबर को भी बाहर आ गई थी बाड़े से 28 नवंबर रविवार की शाम भी जमना बाडा़ फांदकर बाहर आ गई थी. उस वक्त वहां करीब 6 हजार से विजिटर्स मौजूद थे. किसी ने टॉयलेट तो किसी ने खाली पिंजरे में छिपकर जान बचाई थी. 100 से ज्यादा लोग जू के हॉस्पिटल में छिपे रहे थे.
गुब्बारा फटने से गुस्से में आ गई थी जमना उस वक्त किसी बच्चे ने बाड़े में गुब्बारा फेंक दिया था. जमना गुब्बारे से खेलने लगी. इसी दौरान गुब्बारा फूट गया. इससे नाराज जमना ने बाड़ा ही फांद दिया. बाघिन जमना और बाघ लकी के पिंजरे में 14 फीट की सुरक्षा दीवार है. ऊंचाई बढ़ाने के लिए दीवार के ऊपर 7 फीट की जाली लगी है. एक हिस्सा ऐसा था जहां दीवार खत्म होती थी. इसके बाद जालियां शुरू होती हैं. इसके एक हिस्से की जाली टूटी थी. जमना उसी में से बाहर निकली थी. घटना के 10 मिनट बाद ही जू वर्कर्स बाघिन को पकड़ने का ऑपरेशन शुरू कर दिया था. एक घंटे 47 मिनट बाद वो झाड़ियों में बैठी मिली थी. उसे ट्रेंक्यूलाइज (गन से बेहोश करना) किए बिना ही पकड़ लिया गया था.