नई दिल्ली: नोटबंदी के दौरान आरबीआई के दिशा-निर्देशों का पालन न करने को लेकर एक्सिस बैंक चर्चा में है. पहले खबर थी कि इस बैंक का लाइसेंस रद्द किया जा रहा है. इस खबर के बाद बैंक के ग्राहकों में बेचैनी फैल गई है. लोगों के मन में तरह तरह की आशंकाएं हैं. किसी भी बैंक को लेकर ऐसी बातों होती हैं तो उन लोगों का चिंता से घिर जाना स्वाभाविक है, उनका चिंतित होना स्वाभाविक है जिनकी गाढ़ी कमाई इन बैंकों के पास है. चिंता की बात ये है कि इस कमाई को निकाला भी नहीं जा सकता.
बैंकिंग मामलों के जानकारों का कहना है कि, किसी भी बैंक का लाइसेंस रद्द करना बच्चों का खेल नहीं है.ये सिनेमा हॉल या शराब की दुकान का लायसेंस नहीं होता कि एक नोटिस चिपकाया और सील कर दिया.
एक्सपर्ट का कहना है कि सरकारी हो या निजी, सभी बैंक आरबीआई के दिशा-निर्देशों के तहत काम करते हैं. आम बोलचाल की भाषा में कहा जा सकता है कि आरबीआई सभी बैंकों का माईबाप है.
नियमों के मुताबिक, हर बैंक को एक निश्चित मात्रा में राशि बतौर जमानत आरबीआई के पास रखना होती है. इसे सीआरआर कहते हैं. यह राशि बैंक में जमा फंड के अनुपात के आधार पर तय की जाती है. यदि बैंक पर किसी कारण ताले जड़ जाते हैं तो (हालांकि आरबीआई साफ इनकार कर चुका है, ऐसा होने की दूर दूर तक कोई आशंका नहीं है, सबकुछ सेफ है) इसी फंड से ग्राहकों का पैसा लौटाया जाता है.
कुल मिलाकर किसी भी स्थिति में ग्राहकों को नुकसान नहीं होता है. वैसे कोई भी बैंक यूं ही बंद नहीं किया जा सकता. यदि किसी बैंक में नियमानुसार काम नहीं हो रहा है या अन्य विसंगतियां हैं, तो उसे किसी सरकारी या बड़े बैंक में मर्ज कर दिया जाता है.
मसलन हाल ही में महिला कॉपरेटिव बैंक का एसबीआई में मर्ज हुआ है. ऐसे महिला कॉपरेटिव बैंक के सभी ग्राहक अब एसबीआई के ग्राहक हो गए.