नई दिल्ली : पुराने नोट जमा कराने के मामले मे जनता को सरकार ने भले ही नौ नौ आंसू रुला दिया हो लेकिन नेताओं को लेकर खुली छूट है. मोदी सरकार ने साफ किया है कि राजनीतिक पार्टियों पर 500 और हजार के पुराने नोट अपने खाते में जमा करने पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. राजनीतिक पार्टियों को इनकम टैक्स कानून के तहत पहले से ही छूट मिली हुई है. गौरतलब है कि सरकार ने ऐलान कर रखा है कि अगर अघोषित आय से ज्यादा कोई व्यक्ति अपने खाते में 500-1000 के नोट जमा करता है तो उसकी जांच की जा सकती है और आयकर कानून के तहत उचित जुर्माना और टैक्स लगाया जा सकता है. लेकिन राजनीतिक पार्टियां कितनी भी मात्रा में 500 और 1000 रुपये के नोट जमा करें उन पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. क्योंकि पॉलिटिकल पार्टियों को इनकम टैक्स कानून के तहत छूट मिलती है.
सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग को दी गयी जानकारी के अनुसार ज्यादातर सभी राजनीतिक पार्टियों के पास आनेवाले कैश चंदे में इजाफा हुआ है. पिछले महीने 8 नवंबर से नोटबंदी के ऐलान के बाद आम लोगों को जहां कैश की दिक्कत हो रही है वहीं इस दौर में भी ज्यादातर राजनीतिक दल कैश ही चंदा ले रहे हैं. जाहिर है इसमें पुराने नोटों में भी चंदा दिए जाने की पूरी उम्मीद है तो अप्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक पार्टियों के पास पुराने नोटों की सूरत में काला धन आने की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता है. और इसे बैंक में जमा करने पर उनसे कोई पूछताछ नहीं होगी.
जानकारों का कहना है बड़ी संख्या में पार्टियां ऐसी हैं जिन्होंने पुराने नोटों की शक्ल में चंदा लेकर पहले तो काले धन को पार्टी के अकाउंट में डाल देंगी उसके बाद एक रुपये का माल 50 रुपये में खरीदकर काला धन देने वालों को सफेद धन की शक्ल में लौटा देंगी ऐसी हालत में कोई जांच भी नहीं कर सकता क्योंकि पार्टियां ऑडिट और अन्य जांच से ऊपर हैं.
गौरतलब है कि अधिकांश राजनीतिक दल सूचना अधिकार के दायरे में आने को तैयार नहीं हैं और न ही नगद चंदे का स्त्रोत बताने को तैयार हैं. लिहाजा उनके पास चंदा कहां से आया ये पूरी तरह से पता नहीं लगाया जा सकता है. देश की सभी राजनीतिक पार्टियां कोर्ट से भी अपनी अज्ञात आय पर किसी तरह का इनकम टैक्स देने से इनकार कर चुकी हैं. उनके पास इनकम टैक्स कानून के तहत ये अधिकार है.