नई दिल्ली: मानें या ना मानेे सरकार जल्दी ही भारतीय रेल को अंबानी जैसे उद्योगपतियों के खोलने की तैयारी कर रही है. जानकारों का कहना है कि सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं. पहले चरण में सरकार ने रेल का किराया बढ़ाया. दूसरे चरण में इसका बजट आम बजट में मिलाया.
तीसरे चरण में उसके दाम बढ़ाने का काम होगा और चौथे चरण में रेल्वे के किराये के लिए एक प्राधिकरण बना दिया जाएगा जो खुद रेल के किराये तय करेगा जैसे टेलीकॉम और बिजली के किरायों का निर्धारण ट्राई और डीईआरसी जैसी संस्थाएं करती हैं.
इसी सिलसिले में इसबार सरकार बुरी खबर दे सकती है. हो सकता है कि रेल किराया बेतहाशा बढ़ जाए. वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी आज इस बात के संकेत दिए . वो रेल्वे की नेशनल कांफ्रेंस में बोल रहे थे. ये कांफ्रेंस भारतीय रेल में अकाउंट सुधार विषय पर आयोजित की गई थी.
जेटली ने कहा कि 90 साल में पहला मौका है जब अलग रेल बजट पेश नहीं किया जा रहा
उन्होंने कहा कि रेल्वे विमान सेवाओं से कंपटीशन का सामना कर रही है. कैश क्रंच के बावजूद विमान सेवाओं की तरफ बड़ी संख्या मे लोक जा रहे हैं.
जेटली ने कहा कि लोगों को उन सेवाओं के लिए भुगतान करना ही होगा जिनका वो लाभ ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार पॉप्युलिस्ट कदम उठाने के खिलाफ है, पॉप्युलिस्ट कदम वो होते हैं जिनमें सरकार खर्च से कम पैसे पर सुविधाएं देती है.
उन्होंने कहा कि रेल्व स्टेशनों को वैसे ही विकसित करना होगा जैसे एयरपोर्ट विकसित किए गए हैं.
इसका मतलब ये है कि सरकार रेलवे को धीरे धीरे NO SUBSIDY वाले दौर में ले जाना चाहती है. दूसरे शब्दों में जब सबसिडी नहीं होगी तो प्राइवेट कंपनियों के लिए रेल चलाना आसान होगा और सरकार से कंपटीशन में वो समान अवसर प्राप्त कर सकेंगे. ये वैसा ही है जैसे पेट्रोल डीजल की सबसिडी हटाकर किया गया जिससे रिलांयस जैसी कंपनियों को अपना पेट्रोल पंप दोबारा चालू करने में मदद मिली.