नई दिल्ली: नोटबंदी को लेकर मोदी बेहद बेकरार और हड़बड़ी में थे. मोदी के लिए एक दिन भी इंतज़ार करना भारी हो रहा था और वो किसी भी तरह इस फैसले को फौरन से पेश्तर लागू करना चाहते थे. हालात ये थे कि मोदी को जैसे ही आरबीआई का प्रस्ताव मिला वो इसकी घोषणा मे जुट गए.
हिंदुस्तान टाइम्स ने सूचना के अधिकार कानून के तहत जो जानकारियां हासिल की हैं उनके मुताबिक जिस दिन मोदी ने देश को संबोधित किया ठीक उसी दिन उन्हें आरबीआई का प्रस्ताव मिला था.
दिन में बैठक हुई, सरकार को फैसला मिला, इसके ठीक बाद मोदी ने बैठक की. मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक मोदी ने कैबिनेट मे कहा कि वो ये फैसला लागू करने जा रहे हैं. और इसके फायदे और नुकसान के लिए वो खुद ज़िम्मेदार होंगे. कैबिनेट में किसी सुझाव के लिए कोई गुंजाइश भी नहीं छोड़ी गई थी. और इसके साथ ही मोदी बिना तैयारी के ही शाम को दूरदर्शन पर लाइव नमूदार हो गए.
रिजर्व बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने 8 नवंबर को हुई बैठक में नोटबंदी की सिफारिश पारित की थी. इस बैठक में 10 बोर्ड मेंबर्स में से केवल आठ ही शरीक हुए थे, जिनमें आरबीआई प्रमुख उर्जित पटेल, कंपनी मामलों के सचिव शक्तिकांत दास, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर आर गांधी और एसएस मुंद्रा शामिल थे.
दरअसल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ऐक्ट- 1934 में केंद्र सरकार को किसी भी बैंक नोट का चलन बंद करने की शक्ति दी गई. हालांकि सरकार यह फैसला खुद नहीं, बल्कि आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर ही कर सकती है.
यहां आरबीआई बोर्ड की बैठक और प्रधानमंत्री के नोटबंदी के बीच सरकार के पास बैंक के आधिकारिक प्रस्ताव पर अमल के लिए कुछ ही घंटों का वक्त था. इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कैबिनेट की बैठक में इस फैसले के बारे में उन्हें बताया.