जय ललिता की मौत के बाद अाखिर शशिकला तमिलनाडु की गद्दी संभालने जा रही है. शशिकला पर लगातार जय ललिता से जुड़े गंभीर आरोप लगते रहे हैं. आपको याद होगा कि जय ललिता की मौत को लेकर काफी कुछ गुप्त रखा गया था. आखिरी वक्त में जय ललिता के पास उनके परिजनों को भी जाने नहीं दिया जा रहा था. जय ललिता की भतीजी दीपा भी जब अंतिम समय में जयललिता से मिलने गईं तो उन्हें अस्पताल में घुसने नहीं दिया गया.
यहां तक कि अंतिम समय में जय ललिता से मिलने की इजाजत किसी बड़े नेता तक को नहीं थी. सिर्फ उनकी दोस्त शशिकला नटराजन ही जय ललिता से मिल सकती थीं.
शशिकला और जया के रिश्तों को लेकर विवाद पहले भी रहे हैं. कई बार शशिकला की वफादारी पर भी संदेह उठे. शशिकला को जयललिता पहले एक बार बाहर का रास्ता भी दिखा चुकी थीं.
उस समय तहलका पत्रिका ने खबर लिखी थी कि जय ललिता को शशिकला धीमा ज़हर देती थीं इससे उनकी हालत बिगड़ने लगी थी. इस बारे में तब के गुजरात के मुख्यमंत्री ने जयललिता को गुप्त सूचना दी थी. इसके बाद शशिकला को बाहर का रास्ता दिखाया गया.
इस घटनाक्रम के बाद शशिकला फिर जय ललिता के नज़दीक आ गईं बताया गया कि शशिकला के पति इस साजिश के सूत्रधार थे और शशिकला को इसकी खबर नहीं थी. लेकिन जय ललिता के निधन के बाद शशिकला के पति भी उनके साथ देखे गए.
समाचार एजेंसियों के अनुसार हाई कोर्ट ने इस मामले पर विचार करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने जयललिता की मौत से जुड़े संदेहों पर स्पष्ट रुख नहीं अपनाया.
तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता का पांच दिसंबर को निधन हो गया था.
ये जनहित याचिका जस्टिस एस वैद्यनाथन और वी प्रतिबन की बेंच के सामने आई थी.
याचिका में मांग की गई थी कि जयललिता की ‘रहस्यमयी’ मौत की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के तीन रिटायर्ड जजों का एक आयोग बनाया जाए.
इस मामले में हाई कोर्ट ने केंद्र और प्रधानमंत्री कार्यालय को नोटिस भेजा है. इसके साथ ही यह नोटिस तमिलनाडु सरकार को भी भेजा गया है.
एआईएडीएमके के प्राथमिक सदस्य पीए स्टालिन ने यह याचिका दाखिल की है. उन्होंने इस याचिका में कलकत्ता हाई कोर्ट के 1999 के निर्देश का हवाला दिया है.
इस आदेश में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत से जुड़े रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज का आयोग बनाने के मांग की गई थी.
जयललिता के मामले में भी याचिकाकर्ता ने कमिशन ऑफ़ इन्क्वायरी ऐक्ट, 1952 के तहत एक आयोग के गठन की मांग की है.
स्टालिन कोर्ट से यह भी चाहते हैं कि वह राज्य प्रशासन और अपोलो हॉस्पिटल को जयललिता की मौत से जु़ड़े सारे दस्तावेज़ मुहैया कराने का निर्देश दे. हाई कोर्ट की इस बेंच ने नोटिस देने के बाद याचिका को चीफ़ जस्टिस के पास भेज दिया है ताकि इसे उचित बेंच के पास भेजा जा सके.
इस याचिका में पूछा गया है कि जयललिता दो महीने पहले बिल्कुल स्वस्थ थीं, बीमार होने पर उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती किया गया, चार अक्तूबर को अपोलो हॉस्पिटल ने कहा था कि जया की स्थिति लगातार ठीक हो रही है. सरकार की तरफ से भी यही बात दोहराई गई थी.
इसी याचिका में 10 अक्तूबर को फाइनैंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट में पार्टी के हवाले से बताया गया कि सीएम बिल्कुल ठीक हैं.
27 अक्तूबर को एआईएडीएमके ने दावा किया कि जयललिता पूरी तरह ठीक होने की राह पर हैं और उनकी अस्पताल से छुट्टी फ़ैसला लिया जाना है.
याचिका के मुताबिक 7 नवंबर को पार्टी ने बताया कि 15 दिनों में जया अपोलो से डिसचार्ज हो सकती हैं और सब कुछ नियंत्रण में है, लेकिन 5 दिसंबर को जयललिता का निधन हो गया.