नई दिल्ली: सत्ता कभी सच नहीं बोलती. सरकार चाहती है लोग भरोसा करें. लेकिन उसकी फितरत भरोसा तोड़ देने में होती है. वो भरोसा ऐसे तोड़ना चाहती है कि किसी को खबर भी न हो. पीएम मोदी का 2016 की आखिरी शाम को दिया भाषण नोट बंदी के बाद भुलावे की नयी शुरुआत है.
इस भाषण में जो दिखाया गया है वो ज्यादा अहम नहीं है बल्कि बहुत कुछ ऐसा है जो छिपाया गया है वो ज्यादा अहम है. सबसे पहले बात करते हैं पीएम मोदी की ब्याज़ में राहत की घोषणाओं की.
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री आवास योजना में 9 लाख रुपये के कर्ज पर ब्याज़ में छूट का एलान कियाहै. इसके साथ ही किसानों को 60 तक
1. अब पीएम आवास योजना की तहत घर देने के लिए दो नई स्कीममें बनाई गई हैं. नौ लाख रुपये के कर्ज पर ब्याीज में 4 प्रतिशत और 12 लाख रुपये के कर्ज पर ब्याौज में तीन फीसदी की छूट दी जाएगी. अब इस योजना के तहत 33 फीसदी अधिक घर बनाए जाएंगे.
2. घर के मरम्म त के लिए दो लाख के लोन पर तीन फीसदी की छूट दी जाएगी.
3. कोऑपरेटिव सोसायटी से कर्ज पर सरकार दो महीने का ब्यातज देगी.
4. किसानों का साठ दिन का ब्यापज सरकार देगी.
5. अगले तीन महीने में तीन करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड को रुपे कार्ड में बदला जाएगा.
6. सरकार बैंकों को यह गारंटी देती है कि वे छोटे व्याकपारी को लोन दें. बैंक दो करोड़ तक का लोन दें. इसकी गारंटी सरकार लेती है. क्रेडिट गारंटी बढ़ाई गई है. इसके दायरे में नॉन फाइनेंसिंग बैंक भी हैं.
7. छोटे उद्योगों के लिए कैश, क्रेडिट में 25 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है.
8. छोटे कारोबारियों को टैक्स में दो फीसदी की छूट का प्रावधान किया जा रहा है.
दरअसल इन सारी योजनाओं में एक चीज़ आम है. और वो है ब्याज़ में राहत. जाहिर बात है कि सरकार के पास जबरदस्ती जमा की गयी अंधाधुंध नकदी बैंकों में है. बेंक समझ नहीं पा रहे कि इस नकदी का क्या करें.
नकदी ठिकाने लगाने का एक ही तरीका है वो है लोन देना. जाहिर बात है कि सरकार अब लोन की दरों पर छूट भी देगी और बड़ी संख्या में अंबानी, अडानी, टाटा, बिड़ला जैसे लोगों को दनादन लोन दिए जाएंगे.
जब ये होगा तो राजनीतिक हमले भी होंगे . जब हमले होंगे तो सवाल उठेगा कि नोटबंदी का मकसद क्या यही था ?
जाहिर बात है कि इन घोषणाओं की ज़रूरत सरकार को तब पड़ेगी. मोदी के पास जवाब होगा कि हमने सबको लोन दिया था सबसे पहले गरीबों, व्यापारियों, किसानों और छोटे उद्योंगों को दिया. अब उद्योग को दे रहे हैं.
इसके अलावा एक और घोषणा सरकार ने की है. ये घोषणा है बुजुर्गों को मिलने वाले लोन की दरें 8 फीसदी से नीचे न जाने देने की घोषणा. इस घोषणा के पीछे भी एक अंदर छिपी हुई बात है.
मतलब ये कि सरकार अब लोन की ब्याज़ दरें काफी कम करेगी. जाहिर बात है ब्याज से काम चलाने वाले वरिष्ठ नागरिकों की दुर्दशा का मसला बड़ा बन जाता. सरकार ने ब्याज़ में ये निम्नतम सीमा कम करके वाहवाही भी लूट ली और ब्याज कम करने पर सबसे पहले दिया जाने वाला सीनियर सिटीजन के नुकसान वाला तर्क भी खत्म कर दिया. दूसरे शब्दों में सरकार आने वाले दिनों में ब्याज़ कम करने वाली है.
लेकिन इस योजना में सरकार ने सिर्फ साढ़े सात लाख रुपये तक की रकम को सुरक्षा दी है. जाहिर बात है कि शहरों में रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज़ छोडकर म्यूचुअल फंड की तरफ रुख करना होगा.
ये पैसा भी उद्योग धंधे के ही काम आयेगा.
तीसरी घोषणा गर्भवती महिलाओं को पैसे देने की है. ये योजना बाकी योजनाओं के साथ जानबूझ कर जोडी गई. ताकि ध्यान ब्याज़ संबंधी योजनाओं से हटाया जा सके.
निचोड़ के तौर पर नये साल की ये तीन भविष्यवाणियां नोट कर लें.
1. ब्याज़ की दरें बेहद नीचे जाने वाली हैं. इससे कॉर्पोरेट को सस्ता लोन मिलेगा.
2. ब्याज़ दरें कम होने से महंगाई बढ़ेगी क्योंकि मांग का स्तर बढ़ेगा. इसका फायदा भी कॉर्पोरेट को ही होगा
3. सरकार का पूरा ध्यान ज्यादा से ज्यादा उद्योग को बढ़ावा देने पर होगा. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि नागरिकों के पास जब खरीदने के लिए धन ही नहीं होगा तो कॉर्पोरेट का माल कौन खरीदेगा. जाहिर बात है 2020 आते आते बैंकों के ये सस्ते लोन भी खतरे में पड़ने लगेंगे.