नई दिल्ली: राहुल गांधी का यूपी की राजनीति में मास्टर स्ट्रोक अब धीरे धीरे रंग दिखाने लगा है. आज अखिलेश यादव राहुल गांधी से मिलेंगे. मुलाकात यूपी की मिली जुली राजनीति की औपचारिक शुरुआत होगी. जबकि अखिलेश और राहुल के बीच गठबंधन की सहमति पिछले साल अक्टूबर में ही बन चुकी थी. पूरी पटकथा लिखी जा चुकी थी और राहुल और अखिलेश मिलकर उत्तर प्रदेश में डिंपल यादव और प्रियंका गांधी के साथ मिलकर बीजेपी को रोकने की रणनीति पहले ही बना चुके थे. KnockingNews.com ने तभी ये खबर दे दी थी. हमारी वो खबर लगातार सच साबित हुई है.
जानकारी के मुताबिक राहुल गांधी का ये एक्शन प्लान काफी पहले तैयार हो चुका था. ये प्लान उन पक्की मानी जा रही खबरों के बाद आया था जिनमें कहा जा रहा था कि मुलायम सिंह यादव को बीजेपी अमर सिंह के ज़रिए ब्लैकमेल कर रही है. ये भी माना जा रहा था कि गुजरात में कांग्रेस के वोट काटने के लिए समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार लड़ाने का मुलायम का फैसला भी इसी का नतीजा था. इसके अलावा मुलायम सिंह पर बीजेपी के साथ मिलकर सांप्रदायिक घटनाओं को अंजाम देने के आरोप लगते रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक मुलायम और अमित शाह के इस मजबूरी के विवाह का राहुल गांधी ने सबसे ज्यादा इंटेलीजेंट तोड़ निकाला. उन्होंने अखिलेश से संपर्क किया और तय हुआ कि बीजेपी का खेल बिगाड़ा जाए.
जब अखिलेश से राहुल की नज़दीकियों की खबरें बाहर आईं तो मुलायम पर नये सिरे से दबाव बनाया गया. बताया जाता है कि उन्हें जेल जाने का डर भी दिखाया गया. खुद मुलायम ने बयान दिया था कि अगर अमरसिंह न होते तो वो जेल में होते. जाहिर बात है कि कुछ ऐसा है जो कहता है कि मुलायम सिंह डरे हुए हैं. कुछ है जो कहता है कि मुलायम अगर अमरसिंह की बात नही मानेंगे तो उन्हें जेल जाना पड़ेगा.
इसके बाद शिवपाल के ज़रिए मुलायम सिंह ने इस गठबंधन को पंक्चर करने के लिए अमरसिंह की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया. अखिलेश को दबाव में लिया जाने लगा. लेकिन कांग्रेस से राहुल गांधी के समर्थन ने अखिलेश को हौसला दिया. इसी के कारण अखिलेश ने बोल्ड कदम उठाए और वो यूपी के हीरो बन गए.
राहुल गांधी की इस योजना में सबसे ज्यादा अहम भूमिका प्रशांत किशोर ने निभाई. वो लगातार अखिलेश के संपर्क में रहे और राहुल के साथ उनके संवाद को ज़िंदा रखा. सूत्र बताते हैं कि सब कुछ सही दिशा में चल रहा है. आज 10 जनवरी यानी मंगलवार को अखिलेश यादव दिल्ली आ रहे है और राहुल गांधी से मुलाकात कर सकते हैं. जिसके बाद अगले दो-चार दिनों में समाजवादी पार्टी कांग्रेस के साथ अजित सिंह की आरएलडी, संजय निषाद की निषाद पार्टी, पीस पार्टी, आरजेडी, अपना दल का दूसरा गुट अनुप्रिया पटेल के खिलाफ है, पीस पार्टी जैसे छोटे दल मिलकर बिहार की तर्ज पर महागठबंधन बनाएंगे. इससे बिहार की तर्ज पर नीतीश कुमार की भूमिका में अखिलेश यादव नजर आएंगे. इसलिए सियासी दांव पेंच के राउंड रोबिन आधार पर मैच जारी है.
सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव ने तय कर लिया है कि इस समाजवादी पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह या तो उनका होगा या फिर फ्रीज़ होगा. जिसके बाद ही मुलायम के अखिलेश समाजवादी पार्टी से प्रोग्रेसिव समाजवादी पार्टी के मुखिया बनकर साइकिल के विकास को आगे बढ़ाते हुए मोटरसाइकिल को प्राचीन बनाएंगे.
बहरहाल जो भी हो राहुल गांधी ने इस मामले में ये साबित कर दिया कि वो न को पप्पू हैं न राजनीति के कच्चे खिलाड़ी.