नई दिल्ली: नोटबंदी के घटनाक्रम के बाद आरबीआई की नाक कट गई है, पूरी साख को बट्टा लग गया है और आरबीआई की हालत बेहद बुरी है. आरबीआई मुंह दिखाने लायक नहीं रही.
आप जो भी कहें लेकिन नोटबंदी के बाद के घटनाक्रमों से अपमानित महसूस कर रहे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कर्मचारियों ने गवर्नर उर्जित पटेल को चिट्ठी लिखकर अपना विरोध दर्ज कराया है और इस विरोध की भाषा जो भी हो भाव यही है.
कर्मचारियों ने पत्र में नोटबंदी की प्रक्रिया के परिचालन में कुप्रबंधन और सरकार द्वारा करेंसी संयोजन के लिए एक अधिकारी की नियुक्ति कर केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को चोट पहुंचाने का विरोध किया है.
पत्र में कहा गया है कि इस कुप्रबंधन से आरबीआई की छवि और स्वायत्तता को इतना नुकसान पहुंचा है कि उसे दुरूस्त करना काफी मुश्किल है. इसके अलावा मुद्रा प्रबंधन के आरबीआई के विशेष कार्य के लिए वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति को कर्मचारियों ने जबरदस्त अतिक्रमण बताया.
पटेल को संबोधित इस पत्र में यूनाइटेड फोरम ऑफ रिजर्व बैंक ऑफिसर्स एंड इम्पलाइज की ओर से कहा गया है, रिजर्व बैंक की दक्षता और स्वतंत्रता वाली छवि उसके कर्मचारियों के दशकों की मेहनत से बनी थी, लेकिन इसे एक झटके में ही खत्म कर दिया गया. यह अत्यंत क्षोभ का विषय है.
इस पत्र पर ऑल इंडिया रिजर्व बैंक इम्पलाइज एसोसिएशन के समीर घोष, ऑल इंडिया रिजर्व बैंक वर्कर्स फेडरेशन के सूर्यकांत महादिक, ऑल इंडिया रिजर्व बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के सीएम पॉलसिल और आरबीआई ऑफिसर्स एसोसिएशन के आरएन वत्स के हस्ताक्षर हैं.
इनमें से घोष और महादिक ने पत्र लिखने की पुष्टि की है. घोष ने कहा कि यह फोरम केंद्रीय बैंक के 18,000 कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है. उल्लेखनीय है कि इससे पहले आरबीआई के तीन पूर्व गवर्नर मनमोहन सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री), वाईवी रेड्डी और विमल जालान ने रिजर्व बैंक के कामकाज के तरीकों पर सवाल उठाया था. केंद्रीय बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर उषा थोराट और केसी चक्रवर्ती ने भी इस पर चिंता जताई थी.