दावोस: भारत में सिर्फ 1 फीसदी अमीरों के पास देश की 58 फीसदी संपत्ति है. वहीं, देश के सबसे अमीर मुकेश अंबानी अकेले 1.30 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक हैं. ऑक्सरफैम की ओर से जारी रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है. ऑक्सकफैम की रिपोर्ट बताती है कि भारत में अमीरों का देश की संपत्ति पर कंट्रोल ज्यादा है.
दावोस में शुरू हो रही वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की मीटिंग से पहले ऑक्स फैम ने यह रिपोर्ट जारी की गई है. रिपोर्ट बताती है कि हाल के सालों में अमीर-गरीब के बीच का फासला और बढ़ा है. दावोस में होने वाली इस मीटिंग में दुनिया भर के लीडर और बिजनेसमैन हिस्साा ले रहे हैं. भारत और चीन के आंकड़ों से पता चलता है कि दुनिया के आधे गरीब उम्मीद से भी कम दौलत पर गुजारा कर रहे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अभी केवल 57 अरबपतियों के पास 216 अरब डॉलर (14.47 लाख करोड़ रुपए) की दौलत है. इतनी वेल्था में देश की बाकी 70 फीसदी आबादी गुजारा करती है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 84 अरबपतियों के पास कुल 248 अरब डॉलर (16.61 लाख करोड़ रु) की संपत्ति है. इसमें मुकेश अंबानी के पास 19.3 अरब डॉलर (करीब 1.30 लाख करोड़ रुपए) की वेल्थर है. इसी तरह, दिलीप सांघवी के पास 16.7 अरब डॉलर (1.12 लाख करोड़ रुपए) और अजीम प्रेमजी के पास 15 अरब डॉलर (1 लाख करोड़ रुपए) की वेल्थप है. भारत की कुल वेल्थ5 3.1 लाख करोड़ डॉलर है. वहीं, कुल ग्लोबल वेल्थ 255.7 लाख करोड़ डॉलर है.
ऑक्सैफैम की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के टॉप इन्फॉर्मेशन फर्म के सीईओ की अर्निंग उस कंपनी के एक सामान्य कर्मचारी की सैलरी से 416 गुना ज्यालदा है.- एशिया, सिंगापुर और भारत में मल्टील जेनरेशनल अरबपतियों की संख्यान ज्यायदा है. भारत समेत पुरी दुनिया में कई लोग अगले 20 साल में वेल्थ अपने उत्तयराधिकारी को ट्रांसफर करेंगे.
ऑक्सकफैम की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में कंपनियों का लक्ष्य शेयरहोल्डर्स को ज्यादा से ज्यादा रिटर्न देना होता है. यूके में 1970 में कंपनियां प्रॉफिट का 10 फीसदी शेयरहोल्डार्स को रिटर्न करती थी, आज यह आंकड़ा 70 फीसदी है. भारत में यह आंकड़ा कम है लेकिन धीरे-धीरे बढ़ रहा है. अधिकांश भारतीय कॉरपोरेट्स अब शेयरहोल्डडर्स को 50 फीसदी से ज्याअदा रिटर्न डिविडेंड के रूप में दे रहे हैं. भारत में 100 सबसे बड़ी लिस्टेाड कंपनियों का प्रॉफिट बढ़ा है. पिछले 10 साल में इसमें नेट प्रॉफिट का शेयर डिविडेंट के रूप में बढ़ा है.
2014-15 में यह 34 फीसदी पहुंच गया. करीब 12 प्राइवेट कंपनियों ने प्रॉफिट का 50 फीसदी से ज्याेदा डिविडेंड के रूप में शेयरहोल्डर्स को दिया है. इंडियन लेबर ऑर्गनाइजेशन की ग्लोबल वेज रिपोर्ट 2016-17 का हवाला देते हुए ऑक्सफैम की रिपोर्ट बताती है कि भारत में जेंडर पे गैप ज्यादा है. एक ही तरह की जॉब के लिए पुरुष महिलाओं से ज्यादा कमाते हैं. रिपोर्ट का कहना है कि भारत में एकसमान जॉब के लिए महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले 30 फीसदी कम वेतन मिलता है. भारत में महिलाएं 60 फीसदी लोवेस्ट पेड वेज लेबर हैं. सिर्फ 15 फीसदी महिलाएं ही अधिक वेतन हासिल करती हैं.
भारत में 40 करोड़ महिलाएं हैं. इनमें से 40 फीसदी से ज्याहदा ग्रामीण भारत में रहती हैं, जो एग्रीकल्चर और उससे जुड़े कामों में लगी हुई हैं. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में महिलाओं को किसान के रूप में पहचान नहीं मिली है और वह जमीन की मालिक भी नहीं हैं. उनके पास सरकारी स्कीकम का लाभ उठाने की सीमित पहुंच है. इसका असर उनकी एग्रीकल्चर प्रोडक्टिविटी पर पड़ता है. ऑक्संफैम के अनुसार, भारत की कॉटन स्पिनिंग मिल्सड में बंधुआ मजदूरी कराई जाती है. इंडियन लेबर ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में में 58 लाख बाल मजदूर हैं.