नई दिल्ली: हकीम ताजुद्दीन हाशमी दो सेकेंड तक नब्ज़ पर हाथ रखते हैं और फिर आह लेकर फ़ैसला सुनाते हुए पूछते हैं. “आप बहुत कमज़ोर हो गए हैं. ये कैसे हुआ?”
अगले ही पल वह आपको अपनी जींस खोलने को कहते हैं और टॉर्च से गुप्तांग पर लाल रोशनी डालते हैं.
उसके बाद एक छोटी शीशी अपनी मेज़ की दराज़ में से निकलते हुए फ़रमाते हैं, “यह स्वर्ण भस्म है. इसे दवा में मिलाकर लेना पड़ेगा. भस्म 1950 रुपए की है और दूसरी दवा के 30 हज़ार रुपए लगेंगे. पूरा 31950 रुपए लगेगा.”
इसके बाद अमरोहा के यह हकीम साहब मरीज़ को एक छोटी सी पुड़िया थमाते हुए कहते हैं- “इसे अंग पर लगाइएगा, जान आ जाएगी.” और 200 रुपए फ़ीस की अलग से ले लेते हैं.
हकीम ताजुद्दीन हाशमी समेत कई हकीमों के दवाखाने आजकल सुर्ख़ियों में हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार ने इनकी जांच के आदेश दिए हैं.
2013 में आईपीएस अफ़सर अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी नूतन ठाकुर ने लखनऊ के गोमती नगर में हाशमी दवाखाने समेत 20 दवाखानों के ख़िलाफ़ केस दर्ज कराया था, जिन पर ग़लत प्रचार के ज़रिए लोगों को ठगने के आरोप थे.
रअसल उत्तर प्रदेश की प्रमुख सचिव (मेडिकल एजुकेशन) अनिता भटनागर जैन ने हाल ही में सभी ज़िलाधिकारियों से कहा है कि वो दवाओं और चमत्कारिक (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 को सख़्ती से लागू कराएं. सरकार ने ऐसे दवाखानों के अलावा ताबीज़ जैसी चीज़ें बेचने वालों और उनके विज्ञापन देने वालों पर भी कार्रवाई के आदेश दिए हैं.
हाशमी दवाखाने की ओर से सेक्स ताक़त बढ़ाने के विज्ञापन देना औषधि और जादुई उपचार अधिनियम (आपत्तिजनक विज्ञापन) 1954 की धारा 3 का उल्लंघन बताया गया था.
वैसे हाशमी दवाखाना रजिस्टर्ड है और दवाखाना चलाना ग़ैरक़ानूनी नहीं है. दवाखाना एक स्पेशल हनीमून कोर्स भी चलाता है और दावा करता है कि ‘कई नौजवानों’ ने इससे अपना हनीमून’और भी रंगीन बनाया’ है.
हाशमी दवाखाना के हकीम ताजुद्दीन हाशमी ने अपने ख़िलाफ़ आरोपों या दर्ज केस को लेकर बात करने से मना कर दिया. उनका कहना था कि “आप हमारे दवाखाने में आएंगे, तभी सवालों के जवाब मिलेंगे.”
हमारी बात लखनऊ के डॉ. पीके जैन क्लीनिक के लोगों से भी हुई. इस क्लीनिक का नाम भी 2013 की एफ़आईआर में था. क्लीनिक के डॉ. पीयूष जैन ने माना कि उनके क्लीनिक ने लखनऊ के आयुर्वेद और यूनानी प्रभारी को शपथ पत्र देकर क़ानून का उल्लंघन न करने का वादा किया है पर उन्होंने सेक्स ताक़त बढ़ाने वाले विज्ञापनों का बचाव भी किया.
वह पूछते हैं- “हमारे सेक्शुअल पोटेंसी बढ़ाने के विज्ञापन ग़ैरक़ानूनी नहीं हैं. हम वही कर रहे हैं जो आयुर्वेद और शास्त्रों में लिखा है. क्या वियाग्रा शक्तिवर्धन नहीं करती?”
दिल्ली-मुरादाबाद के रास्ते पर मौजूद अमरोहा ऐसे दवाखानों के लिए मशहूर है. हाशमी गुप्त रोग, मर्दाना कमज़ोरी और निसंतान दंपतियों के इलाज का दावा करते हैं. वह लिंग छोटा होने का भी इलाज करते हैं, जिसे प्रकाश कोठारी और दूसरे सेक्सोलॉजिस्ट बीमारी ही नहीं मानते.
तक़रीबन ऐसे ही दावे दूसरों कई दवाखाने चलाने वालों के भी हैं.
मुरादाबाद में आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारी डॉ. सुमन मिश्रा के दफ़्तर के कर्मचारी सुदर्शन शर्मा बताते हैं, “जब हम छापेमारी के लिए जाते हैं, तो वो (बिना रजिस्ट्रेशन वाले दवाखाने) ग़ायब मिलते हैं. मकान मालिक हमें बताते हैं कि दवाखाना किराए की दुकान में चल रहा था.”
एडवर्टाइज़िंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ़ इंडिया की महासचिव स्वेता पुरंदरे के मुताबबिक 2014-15 के दौरान परिषद को 226 ऐसे मामले मिले, जिनमें दवाओं और चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम का उल्लंघन किया गया था. उनके अनुसार 2015-16 और उसके आगे के आठ महीनों (नवंबर 2016 तक) उन्हें 180 ऐसे मामले मिले हैं.
हालांकि सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. प्रकाश कोठारी के अनुसार अगर सेक्स एजुकेशन बढ़ाई जाए और साइको-सेक्शुअल मेडिसिन पढ़ाने वाले कॉलेजों की संख्या बढ़ाई जाए तो बहुत से सेक्स दवाखाने ख़ुद ही ग़ायब हो जायेंगे.
साइको-सेक्शुअल मेडिसिन या काउंसलिंग वो तरीक़ा है जिसके ज़रिए सेक्शुअल समस्याओं को लेकर हुई मानसिक परेशानियों का इलाज किया जाता है.
सौजन्य-http://www.bbc.com/hindi/
2017-01-23