नई दिल्ली: ऑन लाइन कमाई करने की कोई सीमा नहीं है. हमने खबर दी थी वीरेन्द्र सहवाग ने इंटरनेट पर बैठे बैठे 35 लाख कमा लिए. जब हमने ये खबर दी तो लोगों ने इसे हाथों हाथ लिया लेकिन किसे पता था कि कोई नहीं जानता था कि भारत में इंटरनेट पर कमाई को कोई रिकॉर्ड भी बनेगा. नोएडा के एक शख्स ने सिर्फ 1 साल में इंटरनेट से 37 अरब बनाकर दिखा दिए. इतना ही नहीं उसने साढ़े छह लाख लोगों को रोजगार भी दे दिया. अब तक की कहानी से देवता सा दिखने वाला ये शख्स अब जेल में है.
जो लोग गिरफ्तार किए गए उनमें किशनगंज पिलखुआ के रहने वाले अनुभव मित्तल (निदेशक), विशाखापटनम आंध्र प्रदेश के रहने वाले श्रीधर प्रसाद (सीईओ) और कमई बरसाना मथुरा के रहने वाले महेश दयाल (टैक्निकल हेड) के रूप में हुई. कंपनी निदेशक अनुभव 2011 में ग्रेटर नोएडा स्थित एक कॉलेज से बीटेक पास है, जबकि सीईओ श्रीधर प्रसाद दिल्ली के एनआईए इंस्टीटयूट से एमबीए पास.
एसएसपी एसटीएफ अमित पाठक ने बताया कि आरोपी एफ-471 सेक्टर 63 में एब्लेज इन्फो सलुशन प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी चला रहे थे. इसमें सौ से अधिक कर्मचारी काम करते थे. आरोपियों ने इस कंपनी के तहत ही सोशल ट्रेड डॉट बिज नामक सोशल मीडिया प्लेटफार्म लांच किया.
पोर्टल से जुड़ने के लिए चार प्रकार की स्कीम लांच की गई. इसके तहत 5750 रुपए से लेकर 57500 तक जमा कर मेंबरशिप ली जाती थी. पैसे जमा करने के बाद कंपनी यूजर आइडी और पासवर्ड देती थी. ग्राहक जब यूजर आईडी लॉग इन करते थे तो कुछ पेज लिंक को लाइक करने होते थे.
हर लाइक पर ग्राहकों को पांच रुपए मिलने का दावा किया गया था. एक आईडी पर ग्राहकों को 25 से 125 लिंक लाइक के लिए दिए जाते थे. कंपनी दावा करती थी कि एक लाइक के लिए विज्ञापन कराने वाली संस्था से छह रुपए लिए जाते हैं. इसमें से कंपनी एक रुपया खुद लेने की जानकारी देती थी.
एसएसपी एसटीएफ ने दावा किया कि जांच में पता लगा कि कंपनी सदस्यों को धोखे में रखकर पैसे बैंक अकाउंट में मेंबरशिप के नाम पर जमा कराती थी. ग्राहकों को फर्जी विज्ञापन या एक दूसरे के पेज ही लाइक कराए जाते थे. इसे कंपनी अंत में अपने ही सर्वर पर डंप कर देती थी. कंपनी के पास कोई वास्तविक विज्ञापन या कोई रियल सर्विस उपलब्ध नहीं थी.
ठगी के इस धंधे को जनता से पैसा लेकर जनता के बीच बांटकर बढ़ाया गया. लोगों को मेंबर बनाकर पैसे लिए गए. फिर उनके पैसे को अन्य मेंबर में मुनाफा बताकर बांट दिया गया. इससे लोगों का कंपनी पर भरोसा बढ़ा और मेंबर बनने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ.
जिन लोगों को पैसे वापस मिलते थे उनके प्रचार-प्रसार के कारण इस कंपनी से भारी तादाद में लोग जुड़ते गए. इससे कंपनी के खाते में लगातार रकम आती रहती थी. एसटीएफ का दावा है कि कंपनी के ज्यादातर ग्राहकों को पैसे नहीं मिलते थे.
एसटीएफ के अनुसार पूछताछ में आरोपियों ने करीब तीन हजार करोड़ रुपए ग्राहकों को वापस करने का दावा किया है, लेकिन इसमें भी बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा हुआ. दो पीड़ितों की तरफ से सूरजपुर और कोतवाली फेज तीन में केस दर्ज कराने पर यह मामला संज्ञान में आया और एसटीएफ ने जांच कर फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया.
एसटीएफ के अनुसार अगस्त 2015 में आरोपी ने सोशल ट्रेड ऑड बिज नाम से ऑन लाइन पोर्टल बनाया. पोर्टल से जुड़ने के लिए 5750 से 57 हजार 500 रुपए तक की चार स्कीम निर्धारित की. ग्राहकों को भरोसा दिलवाया गया कि लॉग इन कर ऑन लाइन पोर्टल पर आकर पेज को लाइक करने पर हर लाइक पर पांच रुपए मिलेंगे. इस जाल में फंस कर लाखों लोगों ने कंपनी के अकाउंट में पैसा डालने शुरू कर दिए.
2017-02-03