7 साल बाद किरायेदार बनके लौटा खोया हुआ पूत, फिल्मी है ये कहानी

पटना: एक मां के लिए इससे बड़ा कोई झटका नहीं हो सकता कि उसका लाडला घर छोड़कर चला जाए और लाख दरवाजों पर मत्था टेकने के बाद भी न मिले. उसी मां के लिए इससे बड़ी कोई नियामत नहीं हो सकती कि उसका खोया बेटा उसे अचानक मिल जाए. बिहार की एक मां अपने खोए पूत को पाने की लिए हर दरपर माथा पटकती रही. एक दिन पता चला कि बीस दिनों से उसके घर में रह रहा उसका किराएदार ही उसी का बच्चा राजू है. बेटे ने भी मां से मिलने के लिए क्या-क्या सितम नहीं सहा. मां और बेटे की मिलन कि ये कहानी पुरी फिल्मी है, लेकिन हकीकत ये है.
मां ने हर जगह मांगी दुआ
बिहार के बेगुसराय जिले के फुलबड़िया थाना के गंज टोले की शबाना परवीन और उसके बेटे राजू की बिछड़ने व मिलने की कहनी फिल्मी है. दरअसल जून 2009 में राजू अपने पड़ोसी के एक बच्चे के मुंडन संस्कार में गया था, जहां से वह अचानक लापता हो गया. काफी खोजबीन के बाद भी उसका पता नही चला, तब जाकर फलवड़िया थान में गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया गया. राजू की तलाश करती रही उसकी मां अजमेर से मुबंई के हाजी दरगाह समेत कई मंदिर-मस्जिद में मन्नतें मांगती रही, लेकिन वो नहीं मिला. लापता होने के सात साल बाद जनवरी 2017 में परवीन को राजू अपने घर में ही मिल गया.
मां को नहीं पहचान पाया
परवीन के किराएदार ऑटो चालक मोहम्मद अरमान को राजू बरौनी में भटकते मिला और उसे काम देने की मांग की थी. काम मिलने के बाद वह उसके साथ उसके घर में रहने लगा. अचानक एक दिन परवीन ने चाय पीने के दौरान राजू को देखा तो वह उसे पहचान गई, लेकिन राजू अपनी मां को पहचान नहीं पाया. परवीन ने उसे फोटो एलबम दिखाया और बचपन के दोस्तों को दिखाया तब जाकर उसे याद आया और उसने अपनी मां को पहचान लिया.
स्टेशनों पर घूमता रहा
राजू की बिछड़ने की दास्ता काफी दुखदायी है. राजू बताता है कि उसे मुडन के दौरान कुछ लोग जबरन उठाकर ले गए और उसे सुई व दवा देकर रखा जाता था. अपहरण करने वाला उसे अपना बेटा बताता था. राजू धीरे धीरे सबकुछ भुल गया और उसी दंपत्ति को अपना मां-बाप मान लिया. चार साल के बाद जब बाहर खेल रहा था तभी उसे एक दोस्त ने बताया कि उसके मां-बाप झुठ बोलते हैं, उसे कहीं से लाया गया है. इसके बाद राजू वहां से भाग गया. उसे सिर्फ इतना याद था कि उसका घर रेलवे स्टेशन के पास है. तीन साल से वह रेलवे स्टेशन के आस पास गांव को खोजता रहा. घर की तलाश के क्रम में राजू बनारस, इलाहाबाद, भटनी, देवरिया सहित कई स्टेशनों पर रात गुजारी पर घर नहीं मिल रहा था.
इस दौरान जब उसे पेट की आग बुझानी होती तो किसी होटल या चाय की दुकान में काम पकड़ लेता और कुछ दिन काम करने के बाद फिर वह घर की तलाश में निकल जाता. एक दिन वह बरौनी पहुंचा और अरमान से मिला और उसके यहां 50 रुपये के रोज पर काम करने लगा. राजू अपने मां के घर ही किराएदार के यहां रह रहा था, लेकिन वहां घर और मोहल्ले की बनावट बदल जाने से पहचान नहीं पा रहा था. मिलने के बाद जब परवीन ने उसे दो दिनों तक फोटो एलबम से दिखाकर उसे याद दिलाया. अब दोनो मिलकर काफी खुश हैं. अपने ही घर में किराएदार बनकर रह रहा 5 वर्ष से लापता बेटे को आखिर मां ने पहचाना. कहानी फिल्मी है पर है हकीकत.
इधर पुलिस राजू को अब कोर्ट में 164 का बयान करा कर आगे की कारवाई करने की बात कही है. एसपी रंजीत कुमार मिश्र ने बताया कि 2009 से लापता राजू वापस आ गया है. उसके बयान के आधार पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. आखिर इबादत का असर दिखा बेटे को बेटे से मिलाया. courtsey-Aajtak.com