नई दिल्ली: जब डॉक्टरों के सिर पर लालच सवार हो जाए तो वो लोगों को भगवान ही बचा सकता है. ताज़ा मामला ऐसे लालची डॉक्टरों का है जिन्होंने मोटा बिल बनाने के लालच में एक-दो, 10-20. सौ-दोसौ नही पूरी 2200 महिलाओं के गर्भाशय निकाल लिए. इन डॉक्टरों ने महिलाओं को ये कहकर डराया कि उन्हें गर्भाशय का कैसर है इसके बाद ऑपरेशन करके उनके गर्भाशय निकाल दिए. इन डॉक्टरों की शिकार हुई ज्यादातर महिलाओं की उम्र 40 साल से कम है.
इस तरह के नापाक काम में चार अस्पतालों के शामिल होने का आरोप है। कलबुर्गी के स्थानीय लोग पिछले दो वर्ष से इस मुद्दे को उठा रहे हैं, लेकिन अभी तक अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है। जिन 2200 महिलाओं के गर्भाशय को निकाले जाने का मामला सामने आया है, वो लुंबानी और दलित समुदाय से ताल्लुक रखती हैं।
पीडि़त महिलाओं की उम्र 40 साल तक है। पेट में दर्द की शिकायत लेकर जब वो हॉस्पिटल में इलाज के लिए पहुंचती थीं तो डॉक्टर ने उन्हें पेट में कैंसर बता कर डरा देते थे और गर्भाशय (यूट्रस) निकलवाने की सलाह देते थे। महिलाओं ने डर के चलते अपना गर्भाशय निकलवा दिया।
लाइसेंस रद्द, फिर भी चल रहे हॉस्पिटल
इस रैकेट का भंडाफोड़ लगभग डेढ़ साल पहले हुआ था। उस समय स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मामले की जांच करके अस्पतालों का लाइसेंस भी रद्द कर दिया था, लेकिन इसके वाबजूद इन अस्पतालों ने अपना कालाधंधा चालू रखा। रैकेट का पर्दाफाश अगस्त, 2015 में हुआ था और अक्टूबर 2015 में स्वास्थ्य विभाग की जांच समिति ने चार अस्पतालों के लाइसेंस रद्द कर दिए थे, लेकिन वे हॉस्पिटल आज भी कार्य कर रहे हैं।
सड़क पर उतरे लोग
सोमवार को हजारों की संख्या में प्रभावित महिलाओं और कार्यकर्ताओं ने कलबुर्गी उपायुक्त के कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया। महिलाओं ने गैर सरकारी संगठनों जैसे वैकल्पिक कानून फोरम, विमोचना और बंगलूरु में स्वराज अभियान के माध्यम से अपनी आवाज उठाई। महिलाओं व प्रदर्शन कर रहे संगठनों का कहना है कि मानवाधिकार का घोर उल्लंघन करने वाले इन अस्पतालों व डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो और उन्हें सजा मिले।
2017-02-09