ये है पहले चरण के मतदान की कड़वी ज़मीनी हकीकत, जानिए किसने दिया किसे वोट

नई दिल्ली: आज के चुनावों में जो रुझान दिखाई दे रहे हैं उनसे लगता है कि पीएम मोदी और उनकी पार्टी आने वाले समय में थोड़ा और तल्ख और झल्लाई हुई दिखाई दे. पश्चिमी उत्तर प्रदेश धार्मिक ध्रुवीकरण के चलते जहां बीजेपी की झोली में होता था वहीं अभी हालात मोदी के लिए मुश्किल दिख रहे हैं. 15 जिलों में 73 सीटों के लिए हुए मतदान में मुसलमानों का रुझान तमाम फतवों के बावजूद साइकिल और हाथ की तरफ दिखाई दे रहा है.

मुसलमानों ने यहां खूब साइकल दौड़ाई हालांकि BSP को भी उसकी मजबूती वाली जगहों पर एम फैक्टर का साथ दिखा. दलित वोटों का भरोसा अब भी मायावती पर ही दिखाई दे रहा है. हलांकि पढ़े लिखे शहरी इलाकों और कॉलोनियों में लोग कमल के साथ दिखे लेकिन इन लोगों ने मतदान के लिए ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया. सबसे रोचक रहा आरएलडी की तरफ वापस लौटते जाटों का रुख . लोकसभा चुनावों में अजित सिंह को जाटों ने काफी झटका दिया था लेकिन इस बार वो वापस आते दिखे.

बड़ा बदलाव यह रहा कि SP से छिटक गए अति पिछड़ों का रुझान ज्यादातर BJP की तरफ दिखा. ये है जाति और धर्म की राजनीति की कड़वी सच्चाई वाले यूपी का हालात. हालांकि हम धर्म और जाति के नाम पर राजनीति के पक्षधर नहीं हैं लेकिन यूपी की राजनीति को इसके बगैर विश्लेषित नहीं किया जा सकता

मुस्लिम

विधानसभा चुनाव में पहले फेज की 73 सीटों में आधी मुस्लिमों के रुझान वाली हैं. 15 में से 7 जिलों में मुस्लिमों की आबादी 20 फीसदी तक है. मुस्लिम वोटरों ने शनिवार को कांग्रेस के हाथ से थामी गई SP की साइकल को खूब दौड़ाया. ऐसे में वेस्ट UP में गठबंधन का नारा ‘UP को ये साथ पसंद है’ कारगर होता दिख सकता है. मुस्लिमों में मेरठ, बागपत, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस में वोटिंग के वक्त कई रंग दिखे. साइकल की सावरी करने वाले मुस्लिमों ने BSP को भी निराश नहीं किया. दलित-मुस्लिम गठबंधन जहां-जहां होता दिखा, वहां उन्होंने BSP को पहली पसंद रखा. जिन सीटों पर RLD के मुस्लिम प्रत्याशी रहे, वहां उन्होंने उनके हक में नल पर वोट डालने से भी गुरेज नहीं किया.

दलितों ने प्रत्याशी नहीं, मायावती और BSP के नाम पर वोट दिया. पूरी तरह और जज्बे के साथ उन्होंने हाथी पर सवारी की. BJP ने मेरठ, बुलंदशहर और मुजफ्फरनगर में कई सीटों पर ध्रुवीकरण की कोशिश की लेकिन दलितों ने उनका साथ नहीं दिया. BJP का डॉक्टर आम्बेडकर प्रेम भी उन पर बेअसर साबित हुआ. पोलिंग बूथ पर दलित का साफ कहना था कि वे बहनजी को CM बनाने के लिए वोटिंग कर रहे हैं.

जाट

वेस्ट UP में RLD और अजित सिंह के लिए ही जाट मतदाता का दिल धड़का. जहां-जहां RLD के जाट प्रत्याशी थे, वहां तो खुलकर वोटिंग की लेकिन जहां पार्टी के दूसरी जाति के कैंडिडेट थे, वहां जाट निर्णायक स्थिति में रहे. उन्होंने भी RLD के पक्ष में वोटिंग की. जहां पार्टी कैंडिडेट कमजोर साबित हुआ वहां नाराजगी के बावजूद जाट मतदाता ने BJP को ही पसंद किया.

अति पिछड़ा

मुस्लिमों के साथ मिलकर 2012 में साइकल पर सवारी करने वाले अति पिछड़े इस बार SP से बिदके दिखे. वेस्ट UP में अति पिछड़े-प्रजापति,धीवर, सैनी आदि चुनाव को प्रभावित करते हैं. इस बार वोटिंग से एक सप्ताह पहले तक कई सीटों पर अति पिछड़े SP के साथ दिख रहे थे, लेकिन मतदान के दिन उनका ज्यादा रुझान BJP की तरफ दिखा.

सवर्ण व अन्य

वैश्य, ठाकुर BJP के कमल पर, ब्राह्मणों में कांग्रेस-SP गठबंधन और BJP-BSP की तरफ वोटिंग करने की बात कहते सुने गए. इसके अलावा यादव SP, त्यागी SP और BJP, गुर्जर SP और BJP के पाले में खड़ा नजर आया.