Exclusive: ISI जासूसों के सरगना को बचाने में लगा था बीजेपी का एक मंत्री ?

नई दिल्ली: आईएसआई के लिए जासूसी कर रहे ध्रुव सक्सेना को बचाने के लिए बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने कोशिश की थी. भोपाल एटीएस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के कई बड़े नेताओं और एक बेहद सक्रिय मंत्री ने लगातार इस बात की संभावनाएं पता लगाने की कोशिश की कि ध्रुव सक्सेना और उसके साथी आईएसआई एजेंट्स को कैसे बचाया जाए.

जानकारों के मुताबिक पार्टी के इन नेताओं को चार राज्यों के चुनाव के पहले बदनामी का डर था इसलिए लगातार वो इन्हें बचाने की कोशिश कर रहे थे. हालांकि पुलिस और एटीएस से जुड़े अफसरों ने इस मामले में मदद करने में असमर्थता जताई. उन्होंने बताया कि मामला आर्मी इंटेलीजेंस से जुड़ा है इसलिए इसमें छेड़छाड़ खतरनाक हो सकती है.

बताया जाता है कि इस मामले में दिल्ली तक कोशिशें की गईं लेकिन मामला एक तो राष्ट्रीय सुरक्षा का था, दूसरा मिमिट्री इंटेलीजेंस के रिकॉर्ड पर सारी चीज़ें थीं इसलिए पार्टी की बदनामी से बचने के लिए जांच में छेड़छाड़ की ज्यादा गुंजाइश नहीं थी.

इतना ही नहीं इसके बाद मामले को सोशल मीडिया पर संभालने के लिए काफी कोशिशें हुईं. पार्टी के एक बड़े नेता ने तो यहां तक कह दिया कि सोशल मीडिया सेल अगर इस मामले कुछ नहीं कर सकता तो उसे भंग कर देना चाहिए.

पुलिस सूत्रों के मुताबिक पार्टी नेता ध्रुव और सभी जासूसों को बचाने में कामयाब हो जाते. लेकिन आर्मी इंटेलिजेंस इस मामले पर लंबे समय से काम कर रही थी और चार इमली स्थित सेंट्रल इंटेलिजेंस लगातार आर्मी इंटेलीजेंस के संपर्क में थी.

दोनों के ही इनपुट के पुख्ता होने के बाद 8 फरवरी को दोपहर साढ़े चार बजे एयरक्राफ्ट से आर्मी के सीनियर अफसर पीएम हरीज भोपाल आए और सीधे थ्री ईएमई सेंटर पहुंचे जहां आर्मी अफसरों के साथ बैठक की, इसमें उनके साथ इंटेलिजेंस के कुछ अफसर भी शामिल थे, उनके भोपाल आने के 24 घंटे बाद मप्र एटीएस ने इस पूरे मामले का खुलासा किया.

बदकिस्मती देखिए कि सिर्फ नारे लगाने वालों के खिलाफ तो बीजेपी कार्यकर्ता जबरदस्त हिंसा पर उतारू थे लेकिन जब सीधे पाकिस्तान के जासूस पकड़े जाते हैं तो पार्टी उन्हें बचाने में लग जाती है.