भारत के इस पूर्व प्रधानमंत्री ने 12 साल से वोट नहीं दिया, इस बार भी नहीं देगा

नई दिल्ली:  भारत के एक पूर्व प्रधानमंत्री ने 12 साल से वोट नहीं डाला है. ये प्रधान मंत्री अब 19 फरवरी को यूपी में होने वाली वोटिंग में भी हिस्सा नहीं लेंगे. लखनऊ मध्य सीट में उनकी वोटर संख्या 141.  यह वोटर और कोई नहीं, बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री ‘भारत रत्न’ अटल बिहारी वाजपेयी हैं. लखनऊ से लगातार पांच बार सांसद रह चुके 92 वर्षीय वाजपेयी धीरे-धीरे नवाबों के इस शहर का पर्याय बन गए हैं. इस सीट पर आगामी रविवार को मतदान होना है.

पीटीआई से बातचीत में वाजपेयी के करीबी सहयोगी शिव कुमार ने आज बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री इस बार भी विधानसभा चुनाव में वोट नहीं डाल सकेंगे. वाजपेयी ने आखिरी बार साल 2004 के लोकसभा चुनाव में वोट डाला था. यह उनके द्वारा लड़ा गया आखिरी चुनाव भी था. उसके बाद वह साल 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव और साल 2009 तथा 2014 के लोकसभा चुनाव में स्वास्थ्य कारणों से वोट नहीं डाल सके थे.

वर्ष 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लखनऊ मध्य सीट से सांसद चुने गए वाजपेयी जिस मतदान बूथ पर आधिकारिक मतदाता हैं, वह नगर निगम के कार्यालय परिसर में स्थित है. भाजपा के प्रान्तीय प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा, अटल जी भले ही भाजपा प्रत्याशी को वोट ना दे सकें, लेकिन उनका आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ रहेगा. हम उनकी दुआ के साथ चुनाव मैदान में उतरेंगे और उत्तर प्रदेश जीतेंगे. 25 दिसंबर 1924 को जन्मे वाजपेयी वर्ष 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान राजनीति में आए थे. वह संयुक्त राष्ट्र सभा में हिन्दी में भाषण देने वाले पहले भारतीय विदेश मंत्री भी थे. वाजपेयी एकमात्र ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया.

बता दें कि तीसरे चरण के चुनाव में फर्रुख़ाबाद , हरदोई, कन्नौज, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कानपुर देहात, कानपुर नगर, उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी तथा सीतापुर जिलों में मतदान होगा. इस चरण में ज्यादातर उन विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होगा, जहां दलित तथा पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. इस चरण में सपा के गढ़ कहे जाने वाले इटावा, कन्नौज, मैनपुरी, फर्रुख़ाबाद तथा बाराबंकी जिलों में चुनाव होगा. वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इन क्षेत्रों में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था.

दलित और पिछड़े वर्ग के दबदबे वाले जिलों में होने के कारण तीसरे चरण का चुनाव बसपा अध्यक्ष मायावती और उनकी पार्टी के लिये भी काफी महत्वपूर्ण होगा. वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में सपा को 69 में से 55 सीटें हासिल हुई थीं और उसने अपने प्रतिद्वंद्वियों को मीलों पीछे छोड़ दिया था. उसके बाद बसपा सबसे ज्यादा छह सीटें जीती थी. सपा के सामने वह कामयाबी दोहराने की चुनौती होगी. जहां तक भाजपा का सवाल है तो उसे इस चरण में महज पांच सीटें मिली थीं.