गुवाहाटी: अब भारत में जिस मुसलमान के घर में टॉय़लेट नहीं होगा उसके घर में शादी नहीं होगी यानी कि अब शादी करने से पहले ज़रूरी होगा कि एक टॉयलेट बनवाया जाए. जमीयत-उलामा-ए-हिंद के सेक्रेटरी जनरल मौलाना महमूद मदनी ने बताया कि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के मौलवियों और मुफ्तियों ने यह फैसला किया है. ये फैसला जल्द ही पूरे देश में लागू होगा. न्यूज एजेंसी के मुताबिक मौलाना मदनी ने कहा, “हरियाणा, हिमाचल और पंजाब में मुस्लिम विवाह के लिए शर्त के तौर पर टॉयलेट होना जरूरी कर दिया गया है.”
“इस शर्त को जल्द ही देश के बाकी सभी राज्यों में भी लागू किया जाएगा.” राज्यसभा के पूर्व सांसद मदनी ने यहां खानापारा में पिछले हफ्ते असम कॉन्फ्रेंस ऑफ सैनिटेशन (ASCOSAN) 2017 के इनॉगरेशन के दौरान यह घोषणा की.
‘सभी धर्म के लीडर्स यह फैसला करें’ मदनी ने कहा, “मुझे लगता है कि देश में सभी धर्म के लीडर्स को यह फैसला करना चाहिए कि वे उस घर में कोई भी धार्मिक रस्मो-रिवाज नहीं करेंगे जहां टॉयलेट नहीं होगा.” मदनी ने साफ-सफाई पर जोर देते हुए लोगों से टॉयलेट इस्तेमाल करने को कहा.
उन्होंने कहा कि न सिर्फ असम बल्कि पूरे देश को स्वच्छ बनाएं. उन्होंने कहा, “सफाई 2 तरह की होती है, एक बाहरी और दूसरी भीतर की. अगर हमारा शरीर साफ रहेगा तो ही हम अपने भीतर की सफाई कर सकेंगे.”
सफाई को जीवन का लक्ष्य बनाएं: सीएम कॉन्फ्रेंस में असम के सीएम सर्बानंद सोनोवाल ने भी सैनिटेशन और हाईजीन के महत्व पर जोर दिया. सर्बानंद ने राज्य के लोगों से कहा कि वे सफाई को अपने जीवन का लक्ष्य बनाएं. ASCOSAN-2017 के दौरान लोगों ने स्वच्छ असम के मकसद को हासिल करने के प्रति कमिटमेंट जताया. सैनिटेशन कॉन्फ्रेंस में इस साल असम को खुले में शौच से मुक्त करने की कसमें भी खाई गईं.