अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कलिखो पुल के 60 पेज के सुसाइड नोट के कारण दो केंद्रीय जांच एजेंसियों की नजर देश के लीगल कम्युनिटी के चार बेहद जाने-माने सदस्यों पर है. पिछले साल 7 अगस्त को लिखे गए इस नोट में पुल ने कथित तौर पर उनसे करोड़ों की रिश्वत मांगे जाने का आरोप लगाया था.
पुल के विस्फोटक सुसाइड नोट की एक कॉपी द क्विंट के पास है. इनमें चार लीगल ऑफिशियल्स का जिक्र है, जिनमें से दो अभी भी सेवारत हैं और दो रिटायर हो चुके हैं. नोट को हिंदी में टाइप किया गया है और इसके हर पेज पर पुल के दस्तखत हैं. इसके जरिये उन्होंने कांग्रेस पार्टी के कुछ सदस्यों और देश के लीगल सर्किल के कुछ लोगों के कथित करप्शन को सामने लाने की कोशिश की है.
20 फरवरी 2016 को पुल अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. इसमें कांग्रेस के कुछ बागियों और बीजेपी ने उनकी मदद की थी. उनकी सरकार की वैधानिकता पर सवाल उठाए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 13 जुलाई 2016 को पुल के खिलाफ फैसला सुनाया और उनकी सरकार निरस्त कर दी थी. सुसाइड नोट में पुल ने आरोप लगाया है कि उनके हक में फैसला देने के लिए उनसे कथित तौर पर रिश्वत मांगी गई थी.
पुल के सुसाइड नोट के अलावा, एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) ने दिल्ली में रहने वाले एक वकील और एक टॉप लॉ ऑफिशियल के वकील बेटे के बीच रिश्तों का पता लगाया है. पिछले साल दिल्ली के इस वकील ने 125 करोड़ रुपये की इनकम टैक्स रिटर्न फाइल की थी. उन्हें दिसंबर 2016 में नोटबंदी के बाद कथित तौर पर 70 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में गिरफ्तार भी किया गया था. ईडी ने गिरफ्तारी के बाद वकील से पूछताछ के दौरान यह सूचना जुटाई है.
गिरफ्तार वकील का घर ग्रेटर कैलाश में है. पिछले साल 10 दिसंबर को यहां छापा पड़ा था. ईडी अधिकारियों को इस छापे में 14 करोड़ का कैश मिला था. इसमें 2 करोड़ रुपये 2,000 के नए नोट में थे. दिल्ली के वकील असल में चंडीगढ़ के रहने वाले हैं, जहां उनके पिता कभी हाईकोर्ट के जज थे. ऐसी जानकारी मिली है कि वकील ने कहा कि बरामद किया गया कैश उनके क्लाइंट का है.
हालांकि, उनसे पूछताछ में एक नाम सामने आया, जिनके पिता लीगल कम्युनिटी की जानी-मानी शख्सियत हैं. यह जानकारी मिलने के बाद ईडी के अधिकारी दंग रह गए. एक सरकारी सूत्र ने बताया:
‘यह गोपनीय जानकारी है. लीगल कम्युनिटी के दिग्गज नाम के बेटे से जुड़ी कुछ जानकारी हाई लेवल पर दी गई है.’
सुसाइड नोट क्यों महत्वपूर्ण है?
द क्विंट ने कलिखो पुल से रिश्वत की मांग वाले मामले में वकील के बेटे की कथित भूमिका की पुष्टि की है. कहा जा रहा है कि सीबीआई के पास भी यह जानकारी है. हालांकि द क्विंट लीगल कारणों से इस शख्स का नाम या अन्य चार सीनियर लॉ ऑफिशियल्स के नाम सार्वजनिक नहीं कर रहा है.
सुसाइड नोट की इसलिए ज्यादा अहमियत है, क्योंकि इसे मरने वाले का आखिरी बयान माना जा सकता है और इस वजह से इसे सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है.
पांच सितारा होटल में मीटिंग
सुसाइड नोट में एक अन्य जाने-माने लीगल ऑफिशियल के भाई का नाम भी है, जिसने कथित तौर पर पुल से रिश्वत के तौर पर बड़ी रकम की मांग की थी. नोट में लिखा है, ‘वही Xxxxxxx Xxxxx के भाई ने मुझे 37 करोड़ रुपये की मांग की थी.’ एक उच्च सूत्र ने बताया कि जाने-माने लीगल ऑफिशियल के भाई ने पुल के दो करीबी लोगों से संपर्क किया और रिश्वत की मांग की.
सूत्र ने बताया कि पुल के दो सहयोगी लीगल ऑफिशियल के भाई से दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में मिले थे, जहां पैसे की मांग की गई थी.
इस सुसाइड नोट में पुल ने ‘न्यायपालिका पर भरोसा खत्म होने’ की बात भी की है. उन्होंने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट का राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला गलत था.
पुल लिखते हैं, ‘मेरे सहयोगी और मुझसे कई बार संपर्क किया गया कि इस मामले में फैसला मेरे हक में आ सकता है, लेकिन इसके लिए 86 करोड़ रुपये देने होंगे.’ उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि अरुणाचल प्रदेश के कई नेता भ्रष्ट हैं. इनमें राज्य के एक पूर्व मुख्यमंत्री और कई मंत्री शामिल हैं.
पुल के रिश्तेदारों को धमकी
संपर्क करने पर अरुणाचल प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा ने द क्विंट को बताया, ‘मैंने इस नोट को पढ़ा है’ और इसमें ‘लीगल कम्युनिटी के जाने-माने लोगों और एजेंट्स की तरफ से पुल से रिश्वत की मांग’ का जिक्र है.
राजखोवा को पुल की आत्महत्या के कुछ ही हफ्तों बाद पद से हटा दिया गया था. जब उनसे यह पूछा गया कि टॉप लॉ ऑफिशियल के वकील बेटे का नाम भी इस नोट में है, तब राजखोवा ने कहा, ‘’मुझे बताया गया है कि उनका और कुछ अन्य लोगों के नाम इसमें हैं.’’
प्रधानमंत्री को भेजी गई रिपोर्ट की अनदेखी हुई?
राजखोवा के मुताबिक, उन्होंने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को भेजी गई स्पेशल रिपोर्ट में पुल की ‘संदिग्ध मौत’की सीबीआई जांच की मांग की थी. उन्होंने कहा, ”अरुणाचल प्रदेश में हुए घोटालों और पुल की मौत के मामले की सीबीआई जांच की मांग पर ध्यान नहीं दिया गया.”
राजखोवा ने दावा किया,”सच तो यह है कि मुझे बलि का बकरा बनाया गया और दबाव डालकर इस्तीफा दिलवाया गया.”
पुल की आत्महत्या इसलिए सनसनीखेज है, क्योंकि इसके दो महीने बाद ईटानगर में पूर्व मुख्यमंत्री के बंगले के केयरटेकर सुशील बर्मन का शरीर उस कमरे के सामने वाले रूम में लटकता मिला, जिसमें पुल ने कथित तौर पर खुदकुशी की थी.(report courtsey -quint .com, we are publishing it as it is here)