यूपी चुनाव में फर्जी चुनावी नतीज़ों की झड़ी लग गई है. हालात ये हैं कि एबीपी न्यूज से लेकर बीबीसी तक के कई सर्वे सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे हैं. इन सभी सर्वे में बीबीसी को जीतता दिखाया गया है. इन सर्वे से चैनल और न्यूज़ एजेंसियां परेशान हैं बार बार खंडन प्रकाशित करती हैं. अब अब बीबीसी ने फर्जी सर्वे का खंडन किया है. बीबीसी का कहना है कि उसके हवाले से फर्जी प्रचार कर के उसकी साख का फायदा उठाया जा रहा है.
बीबीसी का बयान-
अक्सर चुनाव के समय देखा जाता है कि लोग ये दुष्प्रचार करते हैं कि बीबीसी ने चुनाव सर्वेक्षण किया है और फलां पार्टी जीत रही है.
बीबीसी ये स्पष्ट करना चाहती है कि बीबीसी न तो चुनाव सर्वेक्षण कराती है और न ही किसी और की तरफ से किए गए इलेक्शन सर्वे को प्रकाशित ही करती है.
अतीत में भी बीबीसी ने उसके नाम पर होने वाले चुनावी सर्वेक्षणों की विश्वसनीयता का खंडन किया है.
लेकिन इसके बावजूद कुछ लोग बीबीसी की विश्वसनीयता का फायदा उठाने की फिराक में रहते हैं.
इस बार मुंबई नगर निगम चुनावों में बीबीसी के नाम पर एक इलेक्शन सर्वे का फर्जीवाड़ा किया जा रहा है.
व्हॉट्स ऐप और सोशल मीडिया के दूसरे प्लेटफॉर्म्स पर कुछ लोग ये प्रचारित कर रहे हैं कि बीबीसी हिंदी ने ‘बृहन्मुंबई महानगरपालिका’ का चुनाव पूर्व सर्वेक्षण किया है और इसके रुझान प्रकाशित किए हैं.
ऐसे मामले पहले भी देखे गए हैं जब राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान बीबीसी के नाम पर ऐसे चुनावी सर्वेक्षण चलाए गए हैं.
हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान बीबीसी संवाददाता सलमान रावी से राज्य के एक मंत्री ने कहा, “बीबीसी ने भी सर्वे किया है जिसमें पता चला है कि हम जीत रहे हैं.”
बीबीसी संवाददाता ने मंत्री का भ्रम दूर किया कि बीबीसी की नीति के तहत चुनावी सर्वेक्षण नहीं किए जाते हैं.
इससे पहले एबीवी न्यूज ने भी फर्जी सर्वे का खंडन किया था. एबीपी ने अपना बयान चैनल पर तो प्रकाशित किया ही उसकी एक तस्वीर भी जारी की.
एबीपी से पहले दैनिक जागरण की साइट पर पैसे देकर एक फर्जी सर्वे प्रकाशित किया गया था. नतीजा ये हुआ कि साइट के संपादक के खिलाफ एफआईआर तक हो गई थी.