नई दिल्ली: महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजे आने के बाद महाराष्ट्र में सियासी घमासान तेज हो गया है. मुंबई में कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक हुई, जिसमें फडणवीस सरकार को गिराने का प्रस्ताव रखा गया. बैठक में शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनाने का प्रस्ताव भी पेश हुआ. इस प्रस्ताव का अशोक चव्हाण, संजय निरुपम और नारायण राणे ने समर्थन किया.
लेकिन, कांग्रेस नेता गुरदास कामत ने इसका विरोध किया है और इसके लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को चिट्ठी लिखी है. इसमें सांप्रदायिक ताकतों से हाथ ना मिलाने की मांग की है. कामत ने हार के लिए संजय निरुपम को जिम्मेदार ठहराया है.
देखने वाली बात ये हैं कि कांग्रेस सत्ता के लालच में एक सांप्रदायिक पार्टी को हराने के लिए दूसरी से हाथ मिलाने को उतावली है. सवाल ये भी है कि वो सरकार को गिरा रही है या खुद सिद्धांतों के मामले में गिरावट का नया इतिहास रच रही है.
महाराष्ट्र असेंबली की मौजूदा स्थिति
288 सदस्यीय महाराष्ट्र असेंबली में बीजेपी के 122 विधायक हैं. तो वहीं शिवसेना के 63, कांग्रेस के 42, एनसीपी के 41 और 20 अन्य विधायक हैं. फिलहाल, महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन सरकार है और देवेंद्र फडणवीस इसके मुखिया हैं. अगर यहां शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस एक साथ आते हैं तो फडणीस सरकार अल्पमत में आ जाएगी और सरकार अस्थिर हो जाएगी.
बीजेपी को कमजोर करेगी कांग्रेस!
साथ ही बीएमसी में शिवसेना का मेयर बनाने के लिए कांग्रेस के कुछ पार्षद सीक्रेट वोटिंग करेंगे. इस दौरान वो गैर मौजूद भी रह सकते हैं. वहीं, बीजेपी से गठबंधन को लेकर शिवसेना शनिवार शाम 4 बजे बैठक करेगी, जिसमें वरिष्ठ नेताओं के साथ नए चुने हुए पार्षद भी मौजूद रहेंगे.
बीएमसी पर कब्जे की लड़ाई में शिवसेना और बीजेपी निर्दलीय पार्षदों को अपने साथ मिलाने में जुटी हैं. दावा है कि बीजेपी के साथ 86 तो शिवसेना के साथ 87 पार्षद हो गए हैं. 227 सदस्यीय निगम में बहुमत के लिए 114 का जादुई आंकड़ा छूना होगा. अगर शिवसेना को कांग्रेस का समर्थन मिलता है तो उसका पलड़ा भारी हो जाएगा.
दरअसल, बीएमसी का जो मेयर पद का चुनाव है उसमें कांग्रेस के 31 वोट हैं जोकि सबसे महत्वपूर्ण हैं. वहीं एनसीपी को 9 सीटें हैं. 21 अन्य के खाते में गई हैं.
3 निर्दलीय पार्षदों के शिवसेना में शामिल होने से महापौर के लिए आवश्यक 114 के आंकड़े तक पहुंचने के शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के प्रयासों को बल मिला है, लेकिन बहुमत का आंकड़ा अब भी दूर की कौड़ी नजर आ रही है, लेकिन कांग्रेस अगर शिवसेना को समर्थन देती है तो वह मजबूत हो जाएगी.